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॥ १ ॥
सोने की झारी गंगाजल पानी, प्रभुजी को नवहण कराया || आज || केसर चंदन भरी कचोली, प्रभुजी का पूजन कराया ॥ २ ॥ धूप दीप नैवेद्य सुगंधी, प्रभुजी की आंगीया रचाया ||३|| सेवक प्रभुजी से अर्ज करत है, चरणों में ध्यान लगाया ॥ ४ ॥
गायन नं. ६६
दरस दिखादे रे सांवरिया || ढेर || आनंद कंदन भव दुःख भंजन, सुरत बताई देरे ॥ सांवरिया ॥ १ ॥ अश्वकुल चंदन जगत के चंदन, प्रेम लगा देरे || २ || भोमा देवी मात जाया, बनारसी नगरी राया, नजर मिलाय देरे ||३|| वंदन आनन्दकंद, मुख पूनमचंद नेह लगाय देरे || ४ || ओसिया मंडल करत है बंदन, भवदुःख मिटाय देरे || ५ ||
गायन नं. ६७
( तर्ज - इसरे जोबन का गुमान न करीये )
इसरे जीवन में जिणंद को भजीये । माया न करीये ममता जीये | इसरे || १ || ये जीवने प्यारे दिल हर्ष्या, पाप रहित प्रभु दर्शन करीये | इसरे || २ || आत्म कमल में लब्धि दाता, दास भक्ति से दिल को भरीये | इसरे || ३ ॥
( ४६ )
गायन नं. ६८
नैयां प्रभुजी मेरी अटक पडी, अटक पडी मोरे खटक पडी
जिनेन्द्र पूजा संग्रह किं. ०-३-०
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