________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
||र || नरक निगोदे हुं भम्यो, सह्यां दुःख अपार । विनति कर के कहत हुं, मुज पामरने तार || अब प्रभुजी मोहे खबर पडी || नैया ॥ १ ॥ आ संसारसमुद्रमां, कर्या पाप अपार । विषय कषायना पासमां, फसीयो वारंवार || आवो प्रभुजी मुज वारे चडी || २ || मोहे मुजे फसावीयो, नांख्यो भव मोजार । जेम तेम करीने पामीयो, सुंदर नर अवतार || करूं समरण प्रभु हर घडी ॥ ३ ॥ आत्म कलमां किजीये, लब्धितणो भंडार । जयंत करगरी ने कहे दे दो शिवपुर द्वार || प्रभु भक्ति की मोहे बुटी जडी ||४||
गायन नं. ६९
( तर्ज - केशरिने लम्बे बाल राजा जाने न दूँगी )
आओजी नेमिनाथ मेरी अर्जी उर धारो || ढेर || यादव कुल में जन्म आप का, अरिष्टनेमि नाम || मेरी ॥ १ ॥ सहित बरात जूनागढ आये, पशुओं की सुनी पुकार ॥२॥ रथ को फेर चढे गिरनारी, दीक्षा वहाँ पर ली धार || ३ || राजुल ऊभी अर्ज करत हैं, क्यों छोडी निराधार ? || ४ || नव भव प्रीत न छोडो पलक में, तुम ही हो प्राणाधार || ५ || हाथ पकड नहीं रोकुंगी तुम को, शिवपुर की जो है चाय || ६ || छोडा संसार समझकर, दीक्षा ली प्रभु के पास || ७ || चरित्र पाल नेमिसे पहिले, राजुलने शिव लिया पाय || ८ || धन ओसियां मण्डल के सङ्ग मिल, करते इनका गुणगान ॥ ९॥
स्तवन मंजरी.
For Private And Personal Use Only
( ४७ )