Book Title: Stavan Manjari
Author(s): Amrutlal Mohanlal Sanghvi
Publisher: Sambhavnath Jain Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 52
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करत रही नंदीया रन में ॥२॥ आनन्द ए सम देखन चाहे, राजुल वैरागन भइ है छिन में ॥ ३ ॥ गायन नं. ७३ ( तर्ज-प्रभाती ) मुजरा साहेब मुजरा साहेब, साहेब मुजरा मेरा रे। साहेब सुविधि जिनेश्वर स्वामी, चरण पखालुं तेरा रे ॥ १ ॥ केसर चंदन चरचूं अंगियां, फूल चढाऊं गेहरा रे ॥ २ ॥ घंट बजाऊं अगर उखेवू, करूं प्रदक्षिण फेरा रे ॥ ३ ॥ पंच शब्द बाजिंत्र बजाऊं, नृत्य करूं अधिकेरा रे ॥ ४ ॥ रूपचन्द गुण गावत हरखत, दास निरञ्जन तेरा रे ॥ ५ ॥ गायन नं. ७४ ( तर्ज-मन लाग्युं मारु लाग्युं प्रभु तारा ध्यानमां ) दिल चाहे २, प्रभु ! तारी सेवना । प्रभु ! तारी सेवना, गमे मोरी टेवना ।। दिल ॥ १॥ ध्यान छे तारुं मान छे तारुं, तारी कामना । गणधर मुनिवर गुणीवर प्यासा, तारा नामना ॥ २ ॥ तुं मुज प्यारा दिल बसनारा, आठो 'यामना। पांच क्रोड सहवासी थया छो, सिद्धि धामना ।। ३ ।। पुंडरीकखामी गुण गण गामी, पूरो कामना । पुंडरीकगिरि ए नाम प्रकाशक, तारी नामना १. पहोर. wanaw जैननित्यस्मरणमाला किं. ०-१-० (४९) For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74