Book Title: Stavan Manjari
Author(s): Amrutlal Mohanlal Sanghvi
Publisher: Sambhavnath Jain Pustakalay
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करत रही नंदीया रन में ॥२॥ आनन्द ए सम देखन चाहे, राजुल वैरागन भइ है छिन में ॥ ३ ॥
गायन नं. ७३
( तर्ज-प्रभाती ) मुजरा साहेब मुजरा साहेब, साहेब मुजरा मेरा रे। साहेब सुविधि जिनेश्वर स्वामी, चरण पखालुं तेरा रे ॥ १ ॥ केसर चंदन चरचूं अंगियां, फूल चढाऊं गेहरा रे ॥ २ ॥ घंट बजाऊं अगर उखेवू, करूं प्रदक्षिण फेरा रे ॥ ३ ॥ पंच शब्द बाजिंत्र बजाऊं, नृत्य करूं अधिकेरा रे ॥ ४ ॥ रूपचन्द गुण गावत हरखत, दास निरञ्जन तेरा रे ॥ ५ ॥
गायन नं. ७४
( तर्ज-मन लाग्युं मारु लाग्युं प्रभु तारा ध्यानमां ) दिल चाहे २, प्रभु ! तारी सेवना । प्रभु ! तारी सेवना, गमे मोरी टेवना ।। दिल ॥ १॥ ध्यान छे तारुं मान छे तारुं, तारी कामना । गणधर मुनिवर गुणीवर प्यासा, तारा नामना ॥ २ ॥ तुं मुज प्यारा दिल बसनारा, आठो 'यामना। पांच क्रोड सहवासी थया छो, सिद्धि धामना ।। ३ ।। पुंडरीकखामी गुण गण गामी, पूरो कामना । पुंडरीकगिरि ए नाम प्रकाशक, तारी नामना
१. पहोर.
wanaw
जैननित्यस्मरणमाला किं. ०-१-०
(४९)
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