Book Title: Stavan Manjari
Author(s): Amrutlal Mohanlal Sanghvi
Publisher: Sambhavnath Jain Pustakalay

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Page 16
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इएणं, उड्डुएणं, वायनिसग्गेणं, भमलीए पित्तमुच्छाए, सुहुमेहि अंगसंचालेहि, सुहुमेहिं खेलसंचालेहिं, सुहुमेहिं दिट्टीसंचालेहिं, एवमाइएहिं आगारेहिं, अभग्गो अविराहिओ हुज मे काउस्सग्गो। जाव अरिहंताणं भगवंताणं नमुक्कारेणं न पारेमि । ताव कायं ठाणेणं मोणेणं झाणेणं अप्पाणं वोसिरामि । विधि—यहां मन में एक नवकार का काउस्सग्ग का स्मरण करे। बाद में काउस्सग्ग पार के 'नमो अरिहंताणं' कही नमोऽहत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुभ्यः । बाद में स्तुति कहैं । अष्टापद श्री आदि जिनवर, वीरजिन पावापुरे । वासुपूज्य चम्पानयरी सिद्धा, नेम रेवा गिरिवरे । समेतशिखरे वीस जिनवर, मोक्ष पुहता मुनिवरो। चौवीस जिनवर नित वंदूं, सकल संघे सुखकरो ।। افالت قتلت نفست । प्रथम प्रकरण संपूर्ण Falcomments - ~ संभवनाथचरित्र-यह चरित्र हिन्दीमें पहीला छपा है, इसमें संभवनाथ भगवानका चरित्र बहोत सरल और अच्छी भाषामें लिखा गया है । प्रचारके खातर किंमत रु. ०-१२-० बारह आने रखे गये है। लिखिये और आज ही मंगवाकर पढीऐ। पत्ता श्रीसंभवनाथ जैन पुस्तकालय-फलोधी. ~ ~ .........................raamraparimarurammer स्तवनमंजरी For Private And Personal Use Only

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