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भोमाजी के नन्दा पारस जिनन्दा, सुरत पर घनघोर ॥ ३ ॥ कहता बनारसी प्रभुजी, में तेरा बन्दा मुखड़े की छबि जोर ॥ ४ ॥
गायन नं. ११
( बिछूडारी घाली पीवर चाली हो )
म प्रभु के कारण बन में चाली हो सांवरिया | आछो लागे डूंगरियो, सवायो लागे डूंगरियो || ढेर || जूनागढ से ब्याहन प्रभुजी आये हो सांवरियाँ । आछो लागे डूंगरियो । नेमः ॥ १ ॥ तोरन पर आयोडा पिछा फिरिया हो सांवरियाँ । आछो लागे डूंगरियो ॥ २ ॥ पशुवन की तो करुना दिल में धारी हो सांवरिया । आछो लागे डुंगरियो ॥ ३ ॥ संपत तोरे शरणे आयो तारो हो साँवरिया । आछो लागे डूंगरियो ॥ ४ ॥
गायन नं. १२
( सरोता कहां भूल आई प्यारी नणदोइया )
प्रभुजी ! नहीं भूलना हम को कभी प्यारे प्रभुजी० ॥ टेर || गुण गावें हम हे प्रभु तेरे, सुन अर्जी सबकेरी । अष्ट कर्म जंजाल मिटादो, टालो भव की फेरी ॥ प्रभुजी० ॥ १ ॥ महिमा तेरी पार न पावें, गुण अनन्त भण्डारी | सुरनर कथन करें जो तेरा, कहते न आवे पारी || २ || भरे अनन्त अवगुण से प्रभु हम, उनको ना संभारो। नैया भवसागर में डूबे, जल्दी पार उतारो || ३ || और अधिक कहूं क्या तुजको ? जानत
दृष्टान्तरत्नसमुच्चय किं. ०-१-०
( १९ )
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