Book Title: Stavan Manjari
Author(s): Amrutlal Mohanlal Sanghvi
Publisher: Sambhavnath Jain Pustakalay

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Page 25
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुख लेसेरी ॥ प्रभु० ॥ २ ॥ सेवाराम प्रभु गांठ रेसमकी, लागी लगन नहिं छूटेरी प्रभु० ॥ ३ ॥ . .... गायन नं. १८. -- ( राग-थियेटर ) प्रभु पूजा है प्यारी भव पार उतारी, करो शास्त्रानुसारी मेरे प्यारे सुजान, मानुं जेसु ध्यान प्रभु-पूजा बनावो, पूजन से शिव फल पाओ मेरी जान, करो पूजा भगवान, धरो सुमति का ध्यान, होवे आत्म कल्याण, होवे वाह वाह वाह, होवे वाह वाह वाह, होवे वाह वाह वाह ॥ गायन नं. १९ ( राग-नागर वेलीयो रोपाव ) ... प्रभु पार्श्वने दरबार, तारा चर्णमांही आज । स्थंभन देवनो जुहार, कीधो प्रेमथी में आज ॥ टेर ॥ हुं लाख चोरासी रूल्यो, तुज धर्मनो पण भूल्यो । अब तुज ध्यानमांही डूल्यो । तारा । ॥१॥ तेरा चरणे जे लागे, वोही जीव दुःख भांगे, अमने सुख सवायो जागे ॥ २ ॥ मोहन भवमां पड़ता, बचावे धर्मधारी जडता, कहे सुयश शिवमांही मलता ॥ तारा ॥ ३ ॥ गायन नं. २० ( राग-नदी किनारे बैठ के आओ) ज्ञान वाहन पर चढ कर आवो, अध्यातम दिल लावो । wwwwwwwwwwwwwwwwwww. (२२) स्तवनमंजरी. For Private And Personal Use Only

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