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ही मस्ती, दर्शन हस्ती । कर्म जाड कटाना ॥ ४ ॥ वाणी विलासी, ज्ञान प्रकाशी । अडवीश लब्धि स्थाना ॥ ५ ।।..
गायन नं. २७ संभव जिनवर देव सेवो भवि भाव से ॥ टेक || अष्टादश दोषों के त्यागी ( २ ) प्रभु गुण धारे बार भविक मन भावते ॥ सं० ॥ १ ॥ चउतिस अतिशय पेत्रिश वाणी ( २ ) जगजीवन सुखकार भविकजन तारते ।। सं० ॥ २ ॥ सोहन वरणी मूर्ति सोहे (२) दर्शन से दुःख जाय ध्यावो शुभ भाव से ॥ सं० ॥ ३ ॥ शान्तिस्वरूपी मुद्रा धारी ( २ ) भविजन के हितकार कर्म रोग निवारते ॥ सं० ॥ ४ ॥ फलोदी नगर सिरदारपुरा में, निहाल धर्मशाल जो है बडी विशाल ॥ सं० ॥ ५॥ किसनलाल संपतलालने, मन्दिर बनाया मनुहार दर्शन अति आवते ॥ सं० ॥ ६ ॥ शिखर कोरणी है अति सारी ( २ ) देव भुवन अनुसार भविक मन मोहनी ।। सं० ॥ ७ ॥ संवत् उगनीसे नव्यासी वर्षे (२) मिगसर मास गुलजार अति आनन्दसे ॥सं० ॥ ८ ॥ सुखकारी भगवान उपकारी (२; शिवलक्ष्मी प्रेम आधार दिल में अति भावते । सं० ९॥
गायन नं. २८
( तर्ज-गजल ) है जगत में नाम ये रोसन सदा तेरा प्रभु । तारते उसको
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(२६)
स्तवनमंजरी.
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