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हिन्दी अनुवाद :
वहाँ लोगों ने उस जगह दुष्टमतिवाले कपिल को देखा जिसके हाथ में तलवार थी। तभी तुरन्त उसे पकड़ कर बांध दिया।
गाहा :
जुवरना नाओ सो नाहिय-वाई स एस कविलोत्ति ।
नूणं वायम्मि जिओ मज्झ वहट्ठा इह पविट्ठो ।।३१।। संस्कृत छाया :
युवराजेन ज्ञातः स नास्तिकवादी स एष कपिल इति ।
नूनं वादे जीतो मम वधार्थमिह प्रविष्टः ।।३१।। गुजराती अनुवाद :
युवराजे कडं के ते नास्तिकवादी कपिल तेज आ छ। जेने में वाद मां जीत्यो हतो ते मने मारवा माटे अहीं आवेल छे। हिन्दी अनुवाद :
युवराज ने कहा कि वह नास्तिकवादी कपिल यही है जिसको मैंने वाद में जीत लिया था। वह मुझे मारने के लिए यहाँ आया है। गाहा :
दद्रुण दीण-वयणं वेवंत-सरीरयं तयं कविलं ।
परिचत्त-जीवियासं जाया करुणा कुमारस्स ।।३२।। संस्कृत छाया :
दृष्ट्वा दीनवदनं वेपमान शरीरं तकं कपिलम् ।
परित्यक्त-जीविताशं जाता करुणा कुमारस्य ।।३२।। गुजराती अनुवाद :
दीन मोढावाळा कांपता शरीरवाला जीववानी आशा छोड़ी दीधी छे तेवा कपिल ने जोईने युवराज ने करुणा उत्पन्न थई। हिन्दी अनुवाद :
लटके हुए मुख और-कांपते शरीर वाला जिसने जीने की आशा छोड़ दी है, उस कपिल को देखकर युवराज के मन में करुणा उत्पन्न हो गयी।