Book Title: Sramana 2015 10
Author(s): Sundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 156
________________ हिन्दी अनुवाद : धनदेव ने सम्यक्त्व व्रत पूर्वक देवशर्मा को नमस्कार महामन्त्र दिया और देवशर्मा ने भी उसे भावपूर्वक स्वीकार करते हुए कहा। गाहा : एत्थंतरम्मि पुरिसो सलिलं चित्तूण आगओ तत्थ । घणदेवो भणइ तओ पियसु जलं देवसम्म! इमं ।। २२४।। संस्कृत छाया : अत्रान्तरे पुरुषः सलिलं गृहीत्वाऽऽगतस्तत्र । धनदेवो भणति ततः पिब जलं देवशर्मन्! इदम् ।। २२४।। गुजराती अनुवाद : स्टलीवार मां धनदेवनो माणस त्यां पाणी लईने आव्यो अटले धनदेवे कहयुं के हे देवशर्मा पाणी पी. हिन्दी अनुवाद : ___ इतनी देर में धनदेव का आदमी वहाँ पानी लेकर आ गया। तब धनदेव ने कहा हे देवशर्मा! पानी पीओ। गाहा : अह सो जलं पिबंतो अइतण्हा-सुसिय-तालुयत्तणओ। गुरु-वेयणा-परिगओ सहसा पाणेहिं परिचत्तो ।। २२५।। संस्कृत छाया : अथ स जलं पिबन्नतितृष्णाशुष्कतालुकत्वतः । गुरुवेदना-परिगतः सहसा प्राणैः परित्यक्तः ।।२२५।। गुजराती अनुवाद :___ पाणी पीतां पीतां अति सूकाई गयेला अवा ताळवा वाळो खूबज वेदनायुक्त देवशर्माले प्राण त्याग कर्यो। हिन्दी अनुवाद : पानी पीते-पीते अति सूख गए तालू वाले कष्ट से छटपटाते देवशर्मा ने प्राण त्याग किया।

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