Book Title: Sramana 2015 10
Author(s): Sundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 154
________________ सहसैव सम्प्राप्तः समन्ततो वेष्टितेयं पल्ली। अथ भिल्लनिवहसहितो निःसृतः सुप्रतिष्ठोऽपि ।।२१९।। युग्मम्।। गुजराती अनुवाद :___आटो पेलो पुरुष पलीपतिने कहेछे अटली वारमा तो पुष्कळ रथ घोड़ा अने पायदल साथेनुं लश्कर आवी पङ्यु अने अटली वारमां तो आखी पल्लीने लोकोर घेटी लीधी त्यारे भीलना समुदाय साथे सुप्रतिष्ठ पण बहार आरो। हिन्दी अनुवाद : इतना उस आदमी ने पल्लीपति से कहा तभी पुष्कल रथ, घोड़ा और पैदल के साथ सेना आ गयी, और इतने में उन्होंने समस्त पल्ली के लोगों को घेर लिया तभी भील समुदाय के साथ सुप्रतिष्ठ भी बाहर आये। गाहा : बहु-जण-संहार-करं लग्गं आओहणं महा-घोरं । निहया बहवो भिल्ला विजिया अम्हे परबलेणं ।। २२०।। संस्कृत छाया : बहुजन-संहारकरं लग्नमायोधनं महाघोरम् । निहता बहवो भिल्ला विजिता वयं परबलेन ।। २२०।। गुजराती अनुवाद : घणा लोकोनो नाश करनार्थी अबु घोर युद्ध थयुं, घणा भीलो मराया अने अमे शत्रु सैन्य बड़े हार्या. हिन्दी अनुवाद : अनेक लोगों का नाश करने वाला युद्ध हुआ। अनेक भील मारे गये और हम शत्रु की सेना से हार गए। गाहा : गहिऊण तओ सारं सव्वं डहिऊण सीहगुहमेयं । काउं हय-विप्पहयं विणिग्गयं पर-बलं तत्तो ।। २२१।। संस्कृत छाया : गृहीत्वा ततः सारं सर्व दग्ध्वा सिंहगुहामिमाम् । कृत्वा हत-विप्रहतं विनिर्गतं परबलं ततः ।। २२१।।

Loading...

Page Navigation
1 ... 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170