Book Title: Sramana 2015 10
Author(s): Sundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 155
________________ गुजराती अनुवाद : त्यार पछी सारी वस्तु लईने सिंह गुफाने चारे बाजुथी चाळी नाखी अने कत्लेआम करीने शत्रुनुं सैन्य जतुं रहयुं । हिन्दी अनुवाद : इसके बाद सारा सामान लेकर सिंह गुफा को चारो तरफ से जला दिया और भयंकर कत्लेआम कर शत्रु के सैनिक चले गए। गाहा : अहयंपि हु जुझंतो एयमवत्थंतरं इहं पत्तो । धणदेव! नेव जाणे किं जायं सुप्पइट्ठस्स ।।२२२।। संस्कृत छाया : अहमपि खलु युध्यमान एतदवस्थान्तरमिह प्राप्तः । धनदेव! नैव जानामि किं जातं सुप्रतिष्ठस्य ।। २२२।। गुजराती अनुवाद : हे धनदेव! हुं पण युद्ध करता आवी अवस्था ने प्राप्त थयो छु अने सुप्रतिष्ठ ने शुं थयुं ते हुं जाणतो नथी। हिन्दी अनुवाद : हे धनदेव! मैं भी युद्ध करता हुआ इस अवस्था को प्राप्त हो गया और सुप्रतिष्ठ का क्या हुआ? मैं नहीं जानता। गाहा : पंच-नमोक्कारो अह दिनो सम्मत्त-वय-समेओ से । तेणवि य भाव-सारं पुणरुत्तं भणिउमाढत्तो ।। २२३।। संस्कृत छाया : पञ्चनमस्कारोऽथ दत्तः सम्यक्त्वव्रतसमेतस्तस्मै । तेनाऽपि च भावसारं पुणरुक्तं भणितु-मारब्धः ।। २२३।। गुजराती अनुवाद : धनदेवे सम्यक्त्व व्रत पूर्वक देवशर्मा ने नमस्कार महामंत्र आप्यो अने देवशर्मा पण धावपूर्वक स्वीकारीने बोल्यो।

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