Book Title: Sramana 2015 10
Author(s): Sundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 143
________________ हिन्दी अनुवाद : ___ यह देखकर श्रीदत्त और सागर शेठ दोनों बहुत खुश हुए और 'बोले कि धनदेव! कन्या श्रीकान्ता को हमने तुम्हें दिया। गाहा : तत्तो सोहण-लग्गे परिणीया उच्छवेण महया उ। तीए सो अणुरत्तो विसय-सुहं भुजए तत्य ।। १९४।। संस्कृत छाया : ततः शोभनलग्ने परिणीतोत्सवेन महता तु । तस्यां सोऽनुरक्तो विषयसुखं भुनक्ति तत्र ।।१९४।। गुजराती अनुवाद : त्यार पछी शुध्ध लग्न मां मोटा उत्सव पूर्व परणेलो धनदेव श्रीकान्ता मां रागवाळो थयेलो त्यां तेनी साथे विषयोने सुखपूर्वक भोगवे छे. हिन्दी अनुवाद : उसके बाद शुभ लग्न में एक बड़े समारोह में श्रीकान्ता के साथ परिणीत धनदेव उसके प्रति रागयुक्त हो विषयों को सुखपूर्वक भोगता है। गाहा : जा तत्थ कइवि मासे चिट्ठइ सो तीए जोव्वणासत्तो । ताव य सव्वं भंडं विक्कीयं तस्स पुरिसेहिं ।। १९५।। संस्कृत छाया : यावत् तत्र कत्यपि मासान् तिष्ठति स तस्या यौवनासक्तः । तावच्च सर्व भाण्डं विक्रीतं तस्य पुरुषैः ।।१९५।। गुजराती अनुवाद : आम तेणीनां यौवन मां आशक्त धनदेवना केटलाय महीना पसार थई गया अने अना पुरुषो वड़े बधो माल पण वेचाई गयो। हिन्दी अनुवाद : उसके यौवन में आसक्त धनदेव को कई महीने बीत गये और उसके आदमियों द्वारा उनका पूरा माल भी बिक गया।

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