Book Title: Sramana 2015 10
Author(s): Sundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 151
________________ हिन्दी अनुवाद : बाद में धनदेव ने पूछा, यह सब किसने किया और सुप्रतिष्ठ कहां है? तब देवशर्मा ने धीरे से कहा । गाहा : एत्तो तइयम्मि दिणे सिद्धपुराओ समागओ पुरिसो । एगंतम्मि य सिद्धं तेण इमं पल्लि - नाहस्स ।। २१२ ।। संस्कृत छाया : इतस्तृतीये दिने सिद्धपुरात् समागतः पुरुषः । एकान्ते च शिष्टं तेनेदं पल्लिनाथस्य ।। २१२ ।। गुजराती अनुवाद : आज थी चीजे दिवसे सिद्धपुर थी ओक पुरुष आव्यो हतो. एकान्त मां तेणे पाल्लीपतिने आ प्रमाणे कयुं । हिन्दी अनुवाद : आज से तीन दिन पहले सिद्धपुर से एक आदमी आया था। उसने एकान्त में पल्लीपति को बुलाकर इस प्रकार बोला। गाहा : कुमर! अहं पट्ठविओ तुह पिउ-वर मंति- सुमइ - नामेण । भणियं च तेण, एवं साहेज्जसु सुप्पट्ठस्स ।। २१३।। संस्कृत छाया : कुमार! अहं प्रस्थापितस्तव पितृवर-मन्त्री - सुमतिनाम्ना । भणितं च तेन एतद् कथयस्व सुप्रतिष्ठाय ।। २१३ ।। गुजराती अनुवाद : हे कुमार, तारा पितानो मुख्यमंत्री सुमतिओ मने मोकल्यो छे अने तने आ प्रमाणे कहेवा कह्युं छे । - हिन्दी अनुवाद : हे कुमार! तुम्हारे पिता के मुख्यमन्त्री सुमति ने मुझे यहाँ भेजा है और तुमसे इस प्रकार कहने को कहा है।

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