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गाहा:
अविय। जालालुंखिय-निवडिय-गो-महिस-करंक-कलिय-पेरंतं ।
पेरंत-सत्थ-विणिहय-हय-रुहिर-पवाह-दुग्गंधं ।।२०३।। संस्कृत छाया :
अपि च। ज्वालादग्ध-निपतित-गौ-महिष-करक-कलितपर्यन्तम् ।
पर्यन्त-शस्त्र-विनिहत-हय-रुधिर-प्रवाह दुर्गन्धम् ।।२०३।। गुजराती अनुवाद :
वळी ज्वाळा थी बळेला पड़ता गाय, भैंसना हाइपिंजरो तथा शस्त्र थी हणायेला घोडा अने तेना लोहीना प्रवाह थी दुर्गन्धवाळा... हिन्दी अनुवाद :
अग्नि की ज्वाला से जलकर गिरे हुए गाय, भैंसों के हाड़ पिंजर तथा शस्त्रों से मारे गए घोड़े और उनके रक्त प्रवाह से उठती. दुर्गन्ध वाली... गाहा :
दुग्गंध-धरणि-निवडिय-भड-मंस-वसा पसत्त-बहु-सुणहं । सुणह-भय-मुक्क-माणुस-करंक-सिव-मुक्क
फेक्कारं ।। २०४।। संस्कृत छाया :
दुर्गन्यधरणिनिपतितभट-मांसवशाप्रसक्तबहुशनकाम् ।
शुनक-भयमुक्तमानुषकरकशिवमुक्तफेत्कारम् ।। २०४।। गुजराती अनुवाद :
दुर्गन्धवाळी जमीन ऊपर पड़ेला सुटो ना मांस, चरबी मां आशक्त ओवा घणा कूतराओ तथा ओ कूतरा ना भय थी छोड़ी दीधा छे मनुष्योना हाड़ पिंजरो जेणे स्वा शियाळियाओ ना लवारा वाळु. हिन्दी अनुवाद :
दुर्गन्धवाली जमीन पर पड़े हुए वीरों के मांस, वसा में आसक्त ऐसे बहुत से कुत्तों तथा इन कुत्तों के भय से जिन मनुष्यों के हाड़ पिंजर को छोड़ दिया है, ऐसे सियारों के फेत्कार वाले...