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संस्कृत छाया :
न च तस्याः कोऽपि गुणो जातो विषधारिताया बालायाः ।
आहूताऽथ बहवो विष-मन्त्र-विज्ञायकाः खचराः ।।८६।। गुजराती अनुवाद :
पण तेनी कोई असर ओ स्त्री ऊपर थई नहि तेथी मंत्रना जाणकाटो ने विद्याधरो ने बोलाववा मां आव्या। हिन्दी अनुवाद :
लेकिन उसका कोई असर इस स्त्री पर नहीं हुआ इसलिए मन्त्र के जानकारों-विद्याधरों को बुलवाया। गाहा :
सव्वायर-लग्गेहिवि तेहिवि पउणा न सक्किया काउं । ताहे मयत्ति काउं मय-किच्चं तीए काऊण ।।८७।। नीया पेय-वणम्मी नहवाहण-परियणेण सा बाला ।
चीयाए पक्खिविउं तत्तो उद्दीविओ जलणो ।।८।। संस्कृत छाया :
सर्वादरलग्गैरपि तैरपि प्रगुणा न शक्ताः कर्तुम् । तदा मृतेति कृत्वा मृत-कृत्यं तस्याः कर्तुम् ।।८७।। नीता प्रेतवने नभोवाहन-परिजनेन सा बाला।
चितायां प्रक्षिप्य तत उदीप्तो ज्वलनः ।।८८।। युग्मम्।। गुजराती अनुवाद :
खूच आदरपूर्वक ते बधाए मेहनत की पण तेणी सारी थई नहि. त्यारे ते मटी गई अव्म मानी ने तेनुं मृतकृत्य करवा माटे तेणीने स्मशान मां लई गया अने नधोवाहन ना परिजनोर चिता मां नाखी ने अग्नि प्रगटाव्यो। हिन्दी अनुवाद :
बहुत आदरपूर्वक उन सभी ने परिश्रम किया लेकिन वह अच्छी नहीं हुई। तब उसे मरा हुआ मानकर उसका दाह संस्कार करने के लिए स्मशान में ले गये और नभोवाहन के परिजनों ने उसे चिता पर रखकर आग दी। . .