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गाहा :
किं जीवइ सा बाला सच्वं चिय अहव सा मया वरई ? | जइ ताव तुमं मित्तो आसि महं अन्न- जम्मम्मि ।। १०५ । । संस्कृत छाया :
किं जीवति सा बाला सत्यमेवाऽथवा सा मृता वराकी ? | यदि तावत्त्वं मित्रमासीद् मयाऽन्य- जन्मनि । । १०५ । ।
गुजराती अनुवाद :
शुं ते बाळा जीवे छे के मरी गई? केमके तूं मारो गया जन्मनो मित्र छे तेथी कहे
हिन्दी अनुवाद :
क्या वह स्त्री जिन्दा है या मर गई ? मुझसे बता क्योंकि तू पिछले जन्म का मेरा मित्र है।
गाहा :
दंसिज्जउ सा सिग्घं अह नवि ता मज्झ जीवियं नत्थि । लज्जामि बहु भणंतो एसो च्चिय निच्छओ मज्झ ।। १०६ ।।
संस्कृत छाया :
दर्शयतां सा शीघ्रमथ नाऽपि तर्हि मम जीवितं नास्ति। लज्जामि बहु भणन्नेष चैव निश्चयो मम ।। १०६ ।।
गुजराती अनुवाद :
मने जल्दी थी तेना दर्शन कराव नहिंतर हुं जीवी नहिं शकुं आटलु बोलतां पण मने लज्जा आवेछे. आ मारो निश्चय छे।
हिन्दी अनुवाद :
मुझे जल्दी से उसका दर्शन कराओ नहीं तो मैं जीवित नहीं रहूँगा। ऐसा कहते हुए भी मुझे शर्म आ रही है, किन्तु यह मेरा निश्चय है।
गाहा :
ईसिं हसिऊण तओ देवो वज्जरइ भद्द! जइ एवं । ता पिट्ठओ निरुवसु जेण तयं पेच्छसे दइयं ।। १०७ ।।