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देवेण तेण सहिओ सह महिलाए, नहम्मि उप्पइओ।
अहयंपि तओ तत्तो समागओ नियय-ठाणम्मि ।।१४१।। संस्कृत छाया :
बहुमानयुक्तं ततोऽऽ भाष्य माम् तु सः खवरः । धनदेव! मम समर्प्य मणिमेतं गुरुप्रमोदेन ।।१४०।। देवेन तेन सहितः सह महिलया नभस्युत्पतितः ।
अहमपि ततस्ततः समागतो निज-स्थाने ।।१४१॥ युग्मम् ।। गुजराती अनुवाद :
बहुमान पूर्वक ते विद्याधर, आ प्रमाणे मने कहीने हे धनदेव! अत्यन्त खुशीपूर्वक आ मणि आपीने ते देव, पत्नी सहित विद्याधरनी साथे आकाश मां उड्यो अने हुं पण मारा स्थान मां आव्यो। हिन्दी अनुवाद :
बहुमान पूर्वक वो विद्याधर, ऐसा कहकर हे धनदेव! अत्यन्त खुशीपूर्वक यह मणि देकर वो देव, पत्नी सहित उस विद्याधर के साथ आकाश में उड़ गया और मैं भी अपने स्थान में आ गया। गाहा :
ता भो धणदेव! मए एएण कमेण पाविओ एस ।
बहु-पुन्न-पावणिज्जो मणी मणाणंद-संजणणो ।।१४२।। संस्कृत छाया :
तस्माद् मो धनदेव! मया एतेन क्रमेण प्राप्त एषः ।
बहुपुण्य प्रापणीयो मणिर्मन आनन्द-सजननः ।।१४२।। गुजराती अनुवाद :
हे धनदेव! में तने आ क्रम थी प्राप्त थयेलो. खूध पुन्यथी प्राप्त थाय वो मणि जे मनमां आनन्द ने उत्पन्न करनारो छ। ते. हिन्दी अनुवाद :
हे धनदेव! मैं तुम्हें इस क्रम से प्राप्त हुए, खूब पुण्य से प्राप्त मणि मन में आनन्द उत्पन्न करने वाली है- वह।