Book Title: Sramana 2015 10
Author(s): Sundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
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संस्कृत छाया :
तदा बहु गारूडका आकार्यन्ति मन्त्र-तन्त्रविद्वांसः । क्रियन्ते मन्त्र - जापास्तथा वृत्यन्ते मूलयः ।। १७५।। गुजराती अनुवाद :
त्यारे घणा जादूगरो मंत्र-तंत्र ने जाणनारा बधाने चोलावाया अने मंत्र जप कराव्या अने जड़ी बूटी वाटवा लाग्या ।
हिन्दी अनुवाद :
तभी बहुत से तंत्र-मन्त्र के जानकार, तान्त्रिक को बुलाकर मन्त्र का जाप करवाया और जड़ी-बूटी घिसने लगे।
गाहा :
धारेंति धारणाओ केवि हु कन्नम्मि दिंति से जावं । कलुणं विलवइ जणणी संधीरह से पिया एवं ।। १७६ । ।
संस्कृत छाया :
धारयन्ति धारणाः केऽपि खलु कर्णे ददति तस्या जापम् । करुणं विलपति जननी सन्धीरयति तस्याः पिता एवम् ।। १७६ ।। गुजराती अनुवाद :
धारणा-मान ताओ करवा लाग्या, कानमां मंत्र बोलवा लाग्या. मां विलाप करवा लागी त्यारे पिता अने शांत करे छे।
हिन्दी अनुवाद :
मन्नत करने लगे। कान में मन्त्र बोलने लगे। मां विलाप करने लगी तो पिता उसे शान्त करते हैं।
गाहा :
सुंदरि ! मा कुण सोयं एवं नैमित्तियं तयं वयणं । संपइ पयडीहोही दइए! जामाठओ तुज्झ ।। १७७ ।।
संस्कृत छाया :
सुन्दरि ! मा कुरु शोकमेतन्नैमित्तिकं तद् वचनम् ।
सम्प्रति प्रकटीभविष्यति दयिते! जामातृकस्तव ।। १७७ ।।

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