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संस्कृत छाया :
भणितं देवेन ततो महिला-सहितस्य प्रहतो यत् सः ।
विद्याधर-कृत मेरां विलंघ्य दर्प-व्यामूढः ।।१२९।। गुजराती अनुवाद :
त्यारे देवे का के पत्नी साथे जतां व्यक्ति ऊपर जे कोई हमलो करे तो विद्याधरनी करायेली मर्यादा नो उल्लंघन करीने अहंकार थी युक्त अवो छ। हिन्दी अनुवाद :
तब देव ने कहा कि पत्नी के साथ जा रहे व्यक्ति पर अगर कोई हमला करता है तो वह विद्याधर की मर्यादा का उल्लंघन करता है और वह अहंकार युक्त है। गाहा:
तेणेव कारणेणं विज्जा-च्छेओ इमस्स संजाओ।
ता संपइ असमत्थो भह! तुमं सो पराभविठं ।।१३०।। संस्कृत छाया :
तेनैव कारणेन विद्याच्छेदोऽस्य सज्जातः ।
ततः सम्प्रत्यसमर्थो भद्र! त्वां स पराभवितुम् ।।१३०।। गुजराती अनुवाद :
तेज कारण थी पोताना विद्यानो छेद थवाथी हवे ते नभोवाहन तने हरावी शकशे नहि। हिन्दी अनुवाद :
इसी कारण से अपनी विद्या का छेद होने से वह नभोवाहन तुम्हें हरा नहीं सकता। गाहा :
अन्नं च। किल पुव-वेरिएणं अवहरिओ जाय-गरुय-रोसेण । तो चित्तवेग! खयराहिवस्स गेहम्मि वढिहिसि ।।१३१।। इय तइया केवलिणा भावि-भवं मज्झ साहयंतेण । आइलैं ता तुमए होयव्वं खयर-नाहेण ।।१३२।।