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श्री अमरकेतुराज्ञो देवीकमलवत्याः कुक्षौ ।
बहूपयाचित-लब्ध उपपदिष्यसे पुत्रभावेन ।।६८।।युग्मम्।। गुजराती अनुवाद :
एकवीश कोडाकोड़ी वर्ष तारुं आयुष्य चाकी छे जे पुरुं थये हस्तिनापुर ना अमरकेतु राजानी कमलावती राणीनी कुक्षि मां घणी झंखनाने अंते तु तेमने पुत्र रुपे प्राप्त थशे। हिन्दी अनुवाद :
___ इक्कीस कोड़ाकोड़ी वर्ष तुम्हारी उम्र शेष है। इसके पूरा होने के बाद तूं हस्तिनापुर के राजा अमरकेतु की रानी कमलावती की कोख से बड़े इंतजार के बाद पुत्र रूप में प्राप्त होगा। गाहा :
जणणीइ समं तत्थ य अवहरिओ पुव्व-वेरिय-सुरेण ।
भो चित्तवेग! खयराहिवस्स गेहम्मि वहिहिसि ।।६९।। संस्कृत छाया :
जनन्या समं तत्र चापहृतः पूर्ववैरिसुरेणं ।
भो चित्रवेग! खेचराधिपस्य गेहे वर्धिष्यसे ।।६९।। गुजराती अनुवाद :
त्यां हे चित्रवेग मातानी साथे पूर्वना वेटी देव वड़े अपहरण करायेलो तुं विद्याधर राजाना घरे मोटो थईश। हिन्दी अनुवाद :
वहाँ हे चित्रवेग! माता के साथ पूर्व वेरी देव द्वारा अपहरण किया हुआ तूं विद्याधर राजा के घर पर बड़ा होगा। गाहा :
एतेण मह समीवे दिव्व-मणी जस्स ढोईओ तुमए ।
सो च्चिय परमत्थ-पिया भविस्सइ तम्मि जम्मग्मि ।।७।। संस्कृत छाया :
आयता मम समीपे दिव्यमणिर्यस्य ठौकितस्त्वया । स एव परमार्थपिता भविष्यति तस्मिन् जन्मनि ।।७।।