________________
गाहा :
पत्ताए रयणीए सज्झायं कटु साहुणो सुत्ता ।
कविलोवि अद्ध-रत्ते समागओ साहु-वहणट्ठा ।।४७।। संस्कृत छाया :
प्राप्तायां रजन्यां स्वाध्यायं कृत्वा साधू-सुप्तौ ।
कपिलोऽप्यर्धरात्रे समागतःसाधुवधनार्थः ।।४७ गुजराती अनुवाद :
रात्रिमा स्वाध्याय कटीने ते चंने मुनि सुइ गया त्यारे रात्रिना मध्यमां कपिल पण साधुना वध माटे आव्यो। हिन्दी अनुवाद :
रात में स्वाध्याय करने के बाद दोनों मुनि सो गए। तब आधीरात में कपिल भी साधुओं की हत्या करने के लिए आया। गाहा :
आयड्डिऊण खग्गं जाव पहारं करेइ साहुस्स ।
रुठ्ठाए देवयाए पहओ सो तेण खग्गेण ।। ४८।। संस्कृत छाया :
आकृष्य खड्गं यावत् प्रहारं करोति साधोः ।
रुष्टया देवतया प्रहतः स तेन खड्गेन ।। ४८।। गुजराती अनुवाद :
तलवार काढीने ते साधु पर वार करवा जाय छे त्यां गुस्से थयेला देवे ते तलवार थी कपिलने ज मारी नाख्यो। हिन्दी अनुवाद :
तलवार निकालकर वह साधु पर वार करने जा ही रहा था कि क्रोधित हुए देव ने तलवार से कपिल को ही मार दिया। गाहा :
रोह-ज्झाणोवगओ मरिऊण गओ बिइज्ज-पुढवीए । मुणिणोवि निरइयारं सामनं काउं बहु-कालं ।।४९।। कालं काउं विहिणा दोनिवि सोहम्म-नाम-कप्पम्मि । उप्पन्ना सुह-प्पन्ना अच्छर-गण-संकुल-विमाणे ।।५०।।