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हिन्दी अनुवाद :
पास में रहनेवाले देवता ने उन मुनियों पर भक्ति के कारण जहर का प्रभाव दूर कर दिया और तब दोनों मुनियों ने आहार लेकर स्वाध्याय करना प्रारम्भ किया। गाहा :
चिंतेइ तओ कविलो हंत! विसेणं नं किं मया एए ।
नूणं मंत-बलेणं अवहरिया होज्ज विस-सत्ती ।। ४५।। संस्कृत छाया :
चिन्तयति ततः कपिलो हन्त! विषेण न किम् मृतावेतौ? ।
नूनं मन्त्रबलेनापहृता भवेद् विषशक्तिः ।।४५।। गुजराती अनुवाद :
आ बाजू कपिल विचारे छे के झेरथी पण आ चंने ना मर्या खरेखर मंचना बळथी झेर दूर कराव्यु हशे। हिन्दी अनुवाद :
दूसरी तरफ कपिल विचार करता है कि जहर से भी ये दोनों नहीं मरे। जरूर मन्त्र के बल से जहर का प्रभाव दूर कराए होंगे। गाहा :
ता रयणीइ अवस्सं मारेयव्यो मए इमो मुंडो ।
जीवंतम्मि इयम्मी नत्थि ममं जेण संतोसो।।४६।। संस्कृत छाया :
तावत् रजन्यामवश्यं मारितव्यो मयाऽयं मुण्डः ।
जीवत्यस्मिन् नास्ति मम येन संतोषः ।।४६।। गुजराती अनुवाद :
तेथी राने जछर मारे आ टकलाने मारवो जोइस केमके ते जीवतो हशे त्यां सुधी मने संतोष नहि थाय। हिन्दी अनुवाद :
इसलिए रात में मुझे जरूर मुण्डितों को मार देना चाहिए क्योंकि ये जबतक जीवित रहेंगे तबतक मुझे संतोष नहीं होगा।