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श्रमण, वर्ष ५६, अंक ७-९ जुलाई-सितम्बर २००४
भगवान् महावीर द्वारा प्रतिपादित गृहस्थों की आचार संहिता
महेन्द्र कुमार मस्त* भगवान् महावीर ने गृहस्थों और साधुओं के लिए भिन्न-भिन्न आचार संहिता का प्रतिपादन किया है। मनुष्य की सहज दुर्बलताओं के प्रति सजगव जानकार होने के कारण उन्हें पता था कि त्याग के मार्ग को अपनापाना सभी के लिये सरल नहीं है। उनका उपदेश था- "दुविहे धम्मे। आगार धम्मे अणगार धम्मे' अर्थात धर्म के दो प्रकार हैं। एक गृहस्थ धर्म और दूसरा साधु धर्म। इसीलिए भगवान् महावीर ने साधुओं तथा गृहस्थों के लिए दो अलग-अलग आचार संहिताएं बनाई व उपदेशित की तथा दोनों को ही उन्होंने "धर्म" की संज्ञा दी। गृहस्थों की आचार-विधि व दिनचर्या कभी भी पाप या दोष पूर्ण नहीं है।
__अहिंसा को दैनिक आचार-व्यवहार का मुख्य सिद्धान्त बताते हुए भी भगवान् महावीर ने समय और परिस्थितियों के अनुसार “हिंसा" की विभिन्नताओं को समझा था। हिंसा करने वाले की नीयत, भावना व मानसिकता को देखना- समझना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि जानबूझ कर और इच्छा सहित की गई हिंसा ही पाप है। यह सर्वविदित है कि साधारण मनुष्यों द्वारा अपने विभिन्न कार्यों, जैसे खाना-रसोई, स्नानधुलाई करने तथा सफर करने आदि अनेक विध दिनचर्याओं में उनसे जीव हिंसा होती रहती है। कृषि, व्यापार तथा उद्योग धंधों आदि कार्यों में भी जीव हिंसा होती है। यहां तक कि अपने निज के प्राण, संपत्ति व देश को बचाने के कार्यों में भी जीवों की हिंसा, मरणान्त हिंसा भी संभव है।
अपने द्वारा प्रतिपादित अहिंसा के दृढ़ नियमों में इस प्रकार की उदारता के अनुरूप ही, गृहस्थ जीवन में हिंसा से कैसे बचा जा सकता है, इस प्रश्न के समाधान में भगवान महावीर ने हिंसा के तीन भेद किये हैं। इन में गृहस्थ को निरर्थक और संकल्पजा हिंसा से दूर रहने की बात कही है, जो कि अत्यंत व्यवहार्य और सुखी जीवन की आधारशिला है। भगवान महावीर का कथन है कि----- "कृषि, रक्षा, व्यापार, शिल्प और आजीविका के लिए जो हिंसा की जाती है, उस हिंसा से कोई गृहस्थ बच नहीं पाता। इसी प्रकार, आक्रमणकारियों का भी बलपूर्वक प्रतिरोध किया जाता है, तथा जिस हिंसा के प्रेरक राग-द्वेष और प्रमाद होते हैं और जिस में आजीविका का प्रश्न गौण होता है, वह संकल्पजा हिंसा है। गृहस्थों (श्रावकों) के लिए मैने यथाशक्ति अहिंसा के आचरण का विधान और संकल्पजा हिंसा का निषेध किया है।"
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* महेन्द्र कुमार मस्त, ३२०, इण्डस्ट्रियल एरिया द्वितीय, चंडीगढ़
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