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१०० : श्रमण, वर्ष ५६, अंक ७-९/जुलाई-सितम्बर २००४ भारतीय जैन संस्थाओं में जैन विद्या के अध्येताओं एवं विद्वानों के पारस्परिक आदानप्रदान की सम्भावनाओं का भी पता लगायेंगे। प्रो० क्राफोर्ड की प्रायोगिक जैन विद्या पर विशेष रुचि है। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार हवाई विश्वविद्यालय के ४ छात्र एवं २ अध्यापक जून २००५ में पार्श्वनाथ विद्यापीठ में अध्ययन हेतु पधारेंगे। इससे भारतीय जैन संस्थाओं के छात्रों और अध्यापकों के भी हवाई विश्वविद्यालय जाने का मार्गप्रशस्त होगा। जैन विद्या के विकास के संदर्भ में यह प्रयास निश्चय ही स्तुत्य है। पाण्डुलिपियों के रख-रखाव एवं प्रारम्भिक उपचार
पर कार्यशाला का आयोजन पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी, राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन, नई दिल्ली एवं भारतीय संरक्षण संस्थान परिषद, लखनऊ के संयुक्त तत्त्वावधान में पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी में पाण्डुलिपियों के रख-रखाव एवं प्रारम्भिक उपचार पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यशाला १७-१९ फरवरी, २००५ को आयोजित की जा रही है। इसमें भाग लेने के इच्छुक व्यक्ति निदेशक, पार्श्वनाथ विद्यापीठ से सम्पर्क करें।
डॉ० वशिष्ठ नारायण सिन्हा को भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद की सीनियर फेलोशिप प्राप्त
पार्श्वनाथ विद्यापीठ के पूर्व शोध छात्र एवं महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में दर्शन विभाग के पूर्व उपाचार्य डॉ० वशिष्ठ नारायण सिन्हा को भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद की सीनियर फेलोशिप प्रदान की गयी है। इसके अन्तर्गत डॉ० सिन्हा “विश्व के धर्म और उनकी तात्त्विक एकता" नामक विषय पर शोध कार्य करेंगे। ज्ञातव्य है कि उन्हें यह फेलोशिप पिछले अगस्त माह से प्रदान की गयी है।
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