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गाहा:
जयसेण-कुमर-जीविय-दाया धणधम्म-सेट्टि-पुत्तो सो ।
परमुवयारी सामिय! कहणु अहन्नेहिं विहिउत्ति ।।३७।। छाया:
जयसेन-कुमार-जीवित-दाता धनधर्म-श्रेष्ठि-पुत्रः सः ।
परमोपकारी स्वामिन् ! कथं नु अधन्यैः विहितेति ? ||३७॥ अर्थ :- हे स्वामिन् ! जयसेन कुमारने जीवनदान आपनार तथा धनधर्म (धनदेव) नामना श्रेष्ठीनो पुत्र परम उपकारी अने अनीसामे अधन्य एवा आपणा वड़े शु करायु ? हिन्दी अनुवाद :- हे स्वामिन् ! जयसेन कुमार को जीवनदान देनेवाला तथा धनधर्म नामक श्रेष्ठि पुत्र परम उपकारी धनदेव और उसकी ओर अधन्य ऐसा अपने द्वारा यह क्या किया ! गाहा :
इय देवसम्म-भणियं सोउं संभंत-लोयणो सहसा । अह भगइ सुप्पइट्ठो मुंचह मुंचह महाभागं ।।३८।।
छाया:
इति देवशर्मा-भणितं श्रुत्वा सम्भ्रांत-लोचनः सहसा ।
अथ भणति सुप्रतिष्ठः मुञ्चत मुञ्चत महाभागं ||३८॥ अर्थ :- आ प्रमाणे देवशर्मानुं कहेलु सांभळीने संभ्रांत नयनवाळो सुप्रतिष्ठे एकदम हवे कहयु, आ महाभागने छोड़ी दो छोड़ी दो. हिन्दी अनुवाद :- इस प्रकार देवशर्मा का कथन सुनकर संभ्रांत नयनवाला सुप्रतिष्ठ सहसा इस प्रकार बोला - इस पुण्यवान् को छोड़ दो छोड़ दो ...... गाहा:
पास-द्विय-पुरिसेहिं तक्खणमुच्छोठिया य से बंधा ।
पल्ली-वइणा ताहे अवगूढो सायरं एसो ।।३९।। छाया:
पार्श्व-स्थितपुरुषैः तत्क्षणमुच्छोटिताश्च तस्य बन्धाः । ___ पल्लि-पतिना तस्मात् अवगूढ सादरं एषः ॥३९॥ अर्थ :- बाजुमा रहेला पुरुषोवड़े तेज क्षणे तेना बन्धन छोडाया अने पल्लिपति बड़े आदरपूर्वक आलिङ्गन करायु. हिन्दी अनुवाद :- पास में रहे पुरुष द्वारा उसी क्षण उनके बन्धन काटे गए और पल्लिपति द्वारा बड़े आदर से उसका आलिङ्गन किया गया। गाहा :
तत्तो विहिय पणामो तक्कालमुचियम्मि आसणे दिन्ने । पास-ट्ठिय पुरिसेहिं उवविट्ठो तत्थ धणदेवो ।।४०।।
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