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अत्रिसंहिता धर्मशास्त्रोपदेश वर्णनम् : ३५२
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विषय
श्लोक संहिता श्रवण माहात्म्य गुरु के सत्कार न करने से कुक्कुरयोनि प्राप्ति शास्त्र अपमान से पशुयोनि स्वकर्तव्यनिष्ठ की प्रशंसा प्रत्येक वर्ष के कर्म
१३-२० विद्वानों के कार्य में मुखों की नियुक्ति करने पर क्षति विद्वत्पूजा वर्णन राजा के पञ्च यज्ञ-दुष्ट को दण्ड, सज्जन पूजा, न्याय से कोषवृद्धि , निष्पक्ष न्याय, राष्ट्र वृद्धि
२८ शौच लक्षण
३१-३५ ब्राह्मण कर्तव्य
३६-३६ दान माहात्म्य
४०-४१ इष्टापूर्ति के लक्षण
४३.४४ नियम की अपेक्षा यम का सेवन
४७ नियम जिनको उद्देश्यकर स्नान किया जाता है उसका फल
५०-५१ गया श्राद्ध तथा गया श्राद्ध का माहात्म्य
५२-५८ आहार शुद्धि, स्थान शुद्धि, वस्त्र शुद्धि आदि का निर्देश
५६-८१ सूतक आशौच आदि का प्रायश्चित
८३-१११ कृच्छ, सान्तपन, चान्द्रायण व्रत का विधान
१११-१३५ स्त्री को जप व्रत का निषेध केवल पति परायणता
१३५-१३८ लोहपात्र में भोजन करने से पतित
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