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विष्णुस्मृति
६३. दानाधिकारी ब्राह्मण लक्षण वर्णनम् : ५३५ दान के अधिकारी ब्राह्मणों के लक्षण ६४. गृही कदा वनाश्रमी भवेत्तन्निणयः, आचारो
पदेश वर्णनञ्च : ५३६ गृहस्थी बाल सफेद हो जाय तो वानप्रस्थ को चले जाय या पौत्र हो जाए तो वान प्रस्थ को चला जाय ।
६५. स कर्तव्यता-बानप्रस्थाश्रम वर्णनम् : ५३६ वानप्रस्थ में तपस्या से शरीर को सुखा देवे ।
___९६. सकर्तव्या संन्यासाश्रम वर्णनम् : ५३७ तीनों आश्रमों में यज्ञ करने का विधान और संन्यासाश्रम का वर्णन है । ६७. संन्यासीनां नियमः, तत्त्वानां विमर्शः, विष्ण
ध्यान वर्णनम् : ५४० संन्यास के नियम-उसके शब्द रूप रस के विषय से हटने का नियम, इस शरीर को पृथिवी समझो, चेतना को आत्मा समझें, किस संन्यासी को किस विचार से ध्यान करने का प्रकार, पुरुष शब्द का विषय, ज्ञान, ज्ञेय, गम्य ज्ञान का विचार । ६८. जगत्परायण नारायण वर्णनम्, अष्टाङ्ग नमस्कारावि विधानविधिः, वसुमती नारायणं
प्रति प्रार्थयति : ५४२ भगवान वासुदेव का पृथिवी में चिन्तन करना । ६६ लक्ष्मी वसुधा सम्बाद वर्णनम्, लक्ष्मी निवास
स्थान वर्णनम् : ५४४ पृथिवी का प्रार्थना और पूजन, लक्ष्मी का निवास-आंवला के वृक्ष, शंख, पद्म में, पतिव्रता, प्रियवादिनी स्त्रियों में लक्ष्मी का निवास है। १००. वसुधा प्रति नारायणस्योक्तिः, एतद्धर्मशास्त्रस्य
माहात्म्य वर्णनम् : ५४६ धर्म शास्त्र का माहात्म्य ।
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