________________
पाराशरस्मृति
नियम । कृषि कर्म को मनुष्य मात्र के लिए प्रधान कर्म बताया है और कृषिकार सब पापों से छूट जाते हैं चतुर्वर्ण का कृषि कर्म धर्म बतलाया है
३. अशौच व्यवस्था वर्णनम् : ६३३
अशौच का प्रकरण -- ब्राह्मण मृतसूतक में ३ दिन में, क्षत्रिय १२ दिन में, वैश्य १५ दिन में और शूद्र १ मास में शुद्ध हो जाता है । तृतीय अध्याय में जन्म और मरण के अशौच का विवरण दिया गया है । किन्तु जातक अशौच में ब्राह्मण १० दिन में शेष पूर्व लिखित है । बालक और संन्यासी के मरने पर तत्काल शुद्धि बताई है । १० दिन के बाद खबर पावे तो ३ दिन का सूतक, और सम्वत्सर के बाद खबर पावे बो स्नान करके शुद्धि हो जाती है
गर्भ में मरने की और सद्यः मरने की तत्काल शुद्धि होती है शिल्पी, राजमजदूर, नाई, वैद्य, नौकर, वेदपाठी और राजा इनको
सद्यः शौच
गर्भस्राव का सूतक
विवाहोत्सव में मृतक सूतक
संग्राम में मरने वाले की मृत्यु का अशौच
संग्राम में क्षत्रिय के देहपात
शूद्र के शव ले जाने वाले पर सूतक की अवधि
४. अनेकविधप्रकरण प्रायश्चित्तम् : ६३६
किसी को फांसी लगाना उसका पाप
बिना इच्छा के पतितों से सम्पर्क रखना
ऋतुकाल में पति पत्नी का वर्णन
औरस, क्षेत्रज, दत्तक, कृत्रिम पुत्रों की परिभाषा
५. प्रायश्चित्त वर्णनम् : ६४२
कुत्ता, भेड़िया किसी को काटे उसको गायत्री जपादि प्रायश्चित्त चाण्डाल, आदि से जो ब्राह्मण मर जाए उसका प्रायश्चित्त
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
४१
६-१२
१३-१७
१-१६
२६
२७-२८
३३
३४-३५
३६-४३
४४-४७
४५-५४
१-६
७-११
१२-१६
१७-२८
१-७
८-१२
www.jainelibrary.org