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भूमिका
राजस्थानी भाषा में रामचरित सम्बन्धी रचनाएँ
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पुरुषोत्तम राम और कृष्ण भारतीय धार्मिक एवं सांस्कृतिक चेतना के प्रतीक हैं । दो तीन हजार वर्षो से इनके आदर्श चरित्रो ने भारतीय जनता के जीवनस्तर को प्रगतिमान बनाने मे महत्व का काम किया है । इनके सम्बन्ध में विभिन्न प्रकार के साहित्य का निर्माण हुआ । जिनमें से रामायण और महाभारत भारतीय साहित्य में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं । इन ग्रंथों में वर्णित कथाओ एवं प्रसंगों पर और भी छोटे-बड़े सैकड़ों ग्रंथ रचे गये, प्रत्येक भारतीय भाषा में राम और कृष्ण चरित्र पाए जाते हैं। आगे चलकर तो ये महापुरुष, अवतार के रूप में प्रसिद्ध हुए और इनकी भक्ति ने करोड़ों मानवों को आप्लावित किया । भक्तों के हृदयोद्गार के रूप मे जो भक्तिकाव्य व गीत प्रगटित हुए उनकी संख्या भी बहुत विशाल है । पुरुषोत्तम श्री कृष्ण से मर्यादापुरुषोत्तम राम का चरित्र मानव के नैतिक स्तर को ऊँचा उठाने मे अधिक सहायक हुआ है। श्री कृष्ण की लीलाओं से कुछ खरावियां भी आईं, पर राम चरित के आदर्शो ने वैसी कोई विकृति नहीं की । इसीलिए हमारी दृष्टि में राम कथा को आदरणीय
* प० शिवपूजनसिंह, सिद्धान्तशास्त्री, विद्यावाचस्पति, कानपुर वेदवाणी वर्ष १३ अक ४ में प्रकाशित कृष्णावतार की कल्पना' नामक लेख में लिखते हैं - " राम व कृष्ण की पूजा सर्वत्र भारतवर्ष में प्रचलित है । रामचन्द्र जी को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है क्योंकि वे सर्वत्र मर्यादाओ का पालन करते थे । अपने जीवन में उन्होंने कभी बुरा कर्म नही किया । कृष्णजी के