Book Title: Shrutsagar Ank 2013 09 032
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org * इंद्रनंदिसूरि विवाहलो पू. मुनिश्री सुयशचंद्रविजय विवाह, व्याह, व्याहलो विगेरे विवाहला संज्ञक कृतिओ छे. आवी कृतिओनो विस्तृत परिचय अगरचंदजी नाहटा अने श्री हीरालालभाई जेवा विद्वानो ए जैन सत्यप्रकाश जेवा मेगेझीनना अंकमां आप्यो छे. तेथी अहिं तेनुं वर्णन करी पुनरुक्ति करवी योग्य नथी. मध्ययुगमां रास, चोपाई, बारमासा जेवा काव्यप्रकारोनी जेम आ प्रकारमां पण घणी रचनाओ थवा पामी. जेमानी केटलीक रचनाओ जीवनचरित्र रूपी सामग्रीवाळी तो बीजी केटलीक ऐतिहासिक तथ्योथी भरपूर हती. प्रस्तुत कृतिनो समावेश बीजा प्रकारनी रचनाओमां करी शकाय इंद्रनंदिसूरिजी ना जीवननी ऐतिहासिक घटनाओनी साथे साथै तत्कालीन रीतरिवाजोनुं चित्रण पण कविए अहिं सुपेरे कर्तुं छे जे कृति वाचंता जोइ शकाय छे. हवे सौ प्रथम आपणे कृतिनो सामान्य परिचय जोइशुं. कृति परिचय : मंगलाचरणमां गुरु गौतमस्वामी, सुधर्मास्वामी, माता सरस्वती अने इंद्रनंदिसूरिजीने नमस्कार करीने कविए चारित्रनायक देवराज ( इंद्रनंदिसूरि ) ना ग्रहस्थाश्रमनुं वर्णन कर्तुं छे. शरूआतना १० पद्योगां कविए चारित्रनायकना जन्मस्थाननी माता-पितानी, पुत्र गर्भमां आवता पूर्वे माताने आवेला शुभ स्वप्ननी अने पुत्रना प्रभावथी उत्पन्न थयेल मनोरथादिनी अगत्यनी नोंध गुंथी छे. ११मां पद्यमां पुत्रजन्मनी अने १२मां पद्यथी तत्कालिन रीवाज मुजब गर्भ नाळने जमीनमां दाटी देवानी, लूणउतारण विगेरेनी वात कविए रजू करी छे नामकरण अंगेनो अछडतो उल्लेख करी पछीनी ढाळमां कवि देवराज कुमारना अंगोपांगनुं वर्णन करे छे. कृतिना २५मां पद्यथी ६ पद्यमां कुमारना निशालगमननुं, पुत्रने परणाववाना पिताना मनोरथोनुं अने संयमाभिलाषि पुत्रना भावोनुं सामान्य चित्र छे, संसारनी असारतानुं वर्णन करता पुत्रने चारित्र जीवनना कष्टो समजावी संसारमां ज रहेवा माटे प्रेरणा करता पितानी संवेदनाना पद्यो वर्णवी पछीनी ढाळमां कविए दीक्षानी Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only . इंद्रनंदिसूरिजीना चरित्रनी विशेष विगतो अनुसंधान ५९नी इंद्रनंदिसूरिभास' कृतिनी प्रस्तावनामांथी जोइ लेवा विनंती.

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