Book Title: Shrutsagar Ank 2013 09 032
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर - ३२ आ अंकनी वात : आ अंकमां बे अप्रकाशित कृतिओ सौ प्रथमवार प्रकाशित थाय छे. एमां पहेली कृति अज्ञातकर्तृक इंद्रनंदिसूरि विवाहलो छे. अने बीजी कृति सेवक कृत आदिजिन विवाहलो छे. हस्तप्रतना कागळ उपरथी उतरी आवेली आ बे कृतिओ रचना अने वर्णननी द्रष्टिए साहित्य अने वाचकने वधु समृद्ध करशे ए आशा अस्थाने नथी. इंद्रनंदिसूरि विवाहलानी कृति श्रुतसागर माटे सदाय सहयोग आपनार पू. आचार्य श्री सोमचंद्रसूरि महाराजना शिष्य मुनि श्री सुयशचंद्रविजयजी म. साहेबे पाठवी छे. ए बदल एमनो खूब खूब आभार. ए साथे ज श्री हीरालालभाईनो विवाहला साहित्यने प्रकाशित करतो लेख 'विवाहला साहित्य दर्शन' जैन सत्यप्रकाशमाथी अत्रे यथावत् प्रगट कर्यो छे. विद्वानोने सरळता रहे ए आशयथी ज ए लेखमां नोंधायेली केटलीक कृतिओना स्थानो जै. गू. क.नी द्वितीय आवृत्ति अनुसार टीप्पणमां नोंधेल छे. तेमज आ ज लेखमां विवाहला कृति नोंधमां अनुक्रम नंबर ४ उपर नोंधायेली कृति आदि जिन विवाहलो आ अंकमां प्रकाशित करी छे. ___ आ साथै सम्राट् संप्रति संग्रहालयमा रहेला धातु प्रतिमा लेखोने अत्रे प्रकाशित कर्या छे. साथ-साथे तीर्थ परिचय अंतर्गत आ अंकमां श्री ओशीया तीर्थनो परिचय अने एनी संक्षिप्त माहिती रूप लेख पण अत्रे प्रकाशित कर्यो छे. ओशीया गामनी नजीक टेकरी उपर आचार्य श्री रत्नप्रभसूरि महाराजनी देवकुलिका छे, ए देवकुलिका अने पादुकानुं चित्र आ अंकना टाईटल पेज नं. ३ उपर प्रकाशित कर्या छे. पू. गुरुमहाराजना जन्मदिवसे ज आ अंक प्रकाशित थतो होवाथी पू. गुरुदेवनी स्तुति रूपे पद्मसागर गुरु प्रार्थना अष्टक अत्रे प्रकाशित कर्यु छे. श्रुतसागरना नियमित वाचक मध्यप्रदेशना आई. ए. एस. अधिकारी श्रीसुरेश जैननो लेख 'क्षमा की शक्ति' आ अंकमां प्रकाशित कर्यो छे. लेखमा क्यांकक्यांक पुनरावृत थती वात द्रढताथी क्षमाना महात्म्यने ज उजागर करे छे. तेमज गतांकमां प्रकाशित डॉ. दीपा जैननो योगपरंपरा अने आध्यात्मिक विकासमां गुणश्रेणिनी तुलना करतो लेख अत्रे प्रकाशित कर्यो छे. For Private and Personal Use Only

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