Book Title: Shrutsagar Ank 2013 09 032
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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श्रुतसागर • ३२
१३ ।। ढाल-ऊचु ।। सुहासिणि(णी) हरिषइं कहइ, सवि सुंदरि(री) करउ शृंगार। सिरि चूनडी ओढी अफर, करि कंकण चूडीअ सार | पाए नेउर रणझणकार कि, दुर्लभराज वधावीइ ए 11५६ ।। आंकणी ।। तिलक ठवी चोखे करी, वधावीइ सुहासणि(णी) बाल | वच्छ प्रतपे तुं संघसिउ चिर काल जस रूअडउं ए दीपइ भाल | कोटइ दीसइ ए फूलह माल कि, बालकुंअर जगि जाणीइ ए । ५७ । ।
सवि सुंदरि... सजन सहू को सांचरउ, जाणे अभिवन सोहइ सुरसाल। वाजई वाजिन तिवल कंसार, .......[अहीं एक पद खूटे छ.] राय रंजण नाचइ पात्र चउसाल कि, भालतिलक मोती जडिउं ए ५८ ।।
सवि सुंदर... || ढाल-वीवाहलानु ।। इणि परि उच्छवि आवीउ ए, वाजित्र वाजइ ए रंगि।
अंगि आणंद अभिनवउ ए (आंकणी) ओघउ ततखिणि आणीउ ए, करि कंकण समवडि थापि। चउथु मंगल वरतीउ ए, गुरे" इंद्रनदि मुनि दीउ नाम १५८ ।।
श्री उद....(?) हाथ मेलावइ मुहपत्ती एठ, परणीय संजम नारि। पंच महाव्रत ऊचरीआं ए, पालइ खडगनी धार [५९ || श्री उदय... साहेलडी रे तिहुअणजणसिणगार। साहेलडी रे रूपिइं देवकुंमार ।। साहेलडी रे आगमरयणभंडार। साहेलडी रे लबधिइ गोयमअवतार ||६०11 (आंकणी) भणी गुणी आगम सयल, जाण हुउ, मुनिचंद ।
जाणे सुरगुरू अवतरिउ, साहेलडी रे मोहनवल्ली कंद ||६१।। * आ ढाळ छंदमां बराबर बेसती नथी क्यांक चरण वधारे क्यांक ओछु लागे छे.
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