Book Title: Shrutsagar Ank 2013 09 032
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
श्रुतसागर - ३२
www.kobatirth.org
|| ढाल घोडीनी ।।
जस घरि जाइ विहरता, सोइ आणइ हरख अपार ||१||
रिषभ घरि आवइ छइ ए तु नाभिनरिंदकुलमंडणु । माता मरुदेवी उरि धरी आइ ||२||
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
कोइ घोडा कोइ पालकी (ख), भेट करइ आनंदि । मणि - माणिक मोती तणा, कोइ रतने भरीया थाल ||३|| भद्रजाति कहाथी लेई, कोई राजा ढोइ रंगि ||४|| कोइ निजपुत्री वल्लही" दिइ कन्यानूं (नु) दान रे !|५|| पुण नवि कोई दिइ सूजता, फासू अन्ननइ-पान || ६ || पुहता गजपुरि विहरता, तिहां देखइ श्रेयांसकुमार ||७|| त्रिहु जणे सुपना देखीया, तेणइ कीधा सुपनविचार रे ||८||
जाती (ति) समरण सांभरइ तिहां, दसभवतणउ सनेह | १९ ।। फासूअरस विहरावीआ, इम वरसिहं पाम्युं आहार ||१०|| पांचदिव्य तिहां कणि ह ( हु )वां, सुर जय-जय सबद जपंति
|| ढाल -कुंकुछडानी //
चंदनि छडउ" देवारइ" ए, भुइ" सूधी" करइ ए । रतनमइ पीठ बंधावर तु, सोवनमणिधरी ए ||१||
दिन प्रति पूजइ पीठ तु, भोजन तु करइ ए । मोतीचउक पूरावइ ए, ऊगटि छांटना ए ॥२॥
For Private and Personal Use Only
रिषभ घरि ...
जिहां ऊभा करिउं पारणउं, तिहां कुमरनइ ऊपनी भगति ||१२||
३९
रिषभ घरि ...
रिषभ घरि ...
रिषभ घरि ....
रिषभ घरि ...
रिषभ घरि ...
रिषभ घरि ...
रिषभ घरि ...
रिषभ घरि ...
||११||
रिषभ घरि ...
रिषभ घरि ...

Page Navigation
1 ... 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84