Book Title: Shrutsagar Ank 2013 09 032
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 46
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ४४ www.kobatirth.org वैराग्य पामी लीइ दीक्षा, अभिमानिइं तिहां काउसगि रहइ । बहु सहइ उपसरग वरस ताई, तुहइ केवल नवि लहइ ||४|| || ढाल - झूहलानी || अभिमानि केवल नवि लहइ ए, स्वामी जाणइ न्यानि । ब्राह्मी-सुंदरि मोकल्यां ते बोलइ ए बोलइ ए मधुरीअ वाणि तु || वीरा तुम्हे गज थकी ऊतरु ए, गज चड्यां केवल न होइ तु 119 तु वीरा तुम्हे... इम विमासतां ऊपनूं ए, अभिमान ते गज जाणिउ । वांदिवा पग ऊपाडइ ए, तव वरीयउ वरीयउ केवलनाण Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इम वचन निसुणी बहिनना रे, चींतवइ मुनिराय तु । हूं रहिउ काउसगि इहां किहां गज, अलीअ" कि अलीअ की न बोलइ ताय ||२|| तु वीरा तुम्हे... ||ढाल H-hellej || इम बहु लोकनइ तारी, मोहमहाभडवारी । अष्टापदगिरि आवइ, कनककमल पद ठावइ ||५|| सितम्बर २०१३ जई समोसरणि जिनेद्रनइ ए, दिझं त्रि-प्रदक्षण सार 1 भगवंत विहरइ पुहवीमंडलि, त्रिभुवनतणु आधार तु ||४|| तिहां लिइ अनशनसार, साथि बहू परिवार । साधु सहसदस चंग, करइ संथारउ रंगि ||६|| ध्यानि गुणश्रेणि पामी, मुगति पुहता ए स्वामी । अचल अमल अजरामर, टाली भवनी परंपर 1७1 For Private and Personal Use Only · अनंतज्ञाननइ दर्शन अनंत, सुखबल नही मत्त | परमयो (ज्यो) तितणउ आगर, गुणमणिरोहणभूधर ||८|| ||३|| तु वीरा तुम्हे.... तु वीरा तुम्हे....

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