Book Title: Shrutsagar Ank 2013 09 032
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 68
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir क्षमा की शक्ति सुरेश जैन, आई.ए.एस. (से.नि.) क्रोधित होना सरल है। कोई भी व्यक्ति आसानी से क्रोधित हो सकता है। किसी भी व्यक्ति या वस्तु पर अपना क्रोध प्रगट कर सकता है। हमारे लिए क्रोध का नियंत्रण एवं नियमन करना कठिन अवश्य दिखाई देता है, कठिन प्रतीत होता है किन्तु हम थोड़े से प्रयत्न, प्रशिक्षण और धैर्य से अपने क्रोध को नियंत्रित कर सकते है। ऐसे नियंत्रित क्रोध को हम कुछ सीमा तक कभी-कभी रचनात्मक स्वरूप भी प्रदान कर सकते है। कभी-कभी विशेष प्रयास कर क्रोध को उदित ही न होने दें। क्रोध उत्पन्न होने पर तुरंत ही क्रोध को शांत करें । मंद करें। क्षमा का प्रयोग करें। ___ क्षमा शिशु सुलभ सरलता एवं अद्भुत आनंद की जननी है। अनुभवी, परिपक्व सज्जन ओर वृद्ध जन की सजनी हैं! क्षमा करने की प्रवृत्ति अद्भुत मानसिक शक्ति और क्षमता की जननी है। क्षमा संयमित जीवन की उपलब्ध एवं अभिव्यक्ति है। क्षमा का भाव सहनशीलता, उदारता और सद्भाव का जनक है। महत्त्वपूर्ण नैतिक गुण है। आंतरिक चेतना का शोधक है। क्षमा हमारा भला करती है। क्षमा हमारा कल्याण करती है। दूसरे को क्षमा करना, अपनी गलती स्वीकार करना और दूसरे से क्षमायाचना करना महत्वपूर्ण कला है। इस कला को हम प्रयत्न पूर्वक सीखें। दैनिक जीवन में इस कला का उपयोग करें। हम अपने हृदय में क्षमा, मैत्री और करूणा को भरकर रखें। अपने हृदय से सदैव करूणा, क्षमा और मैत्री को छलकने दें। विश्व के सभी धर्मग्रन्थों द्वारा हमारे दैनिक व्यवहार में क्षमा की महत्ता एवं उपयोगिता को स्पष्ट शब्दों में स्वीकार किया गया है। प्राचीनकाल से ही भारत में क्षमा पर अनेक स्वतंत्र पुस्तकें लिखी गई है। ऐसा साहित्य प्रभावी ढंग से हमें क्षमा का यह पाठ पढ़ाता है कि किसी भी व्यक्ति के प्रति घृणा न रखें। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा प्रकाशित कक्षा - ७ की भाषाभारती की निम्नांकित हिन्दी कविता की पंक्तियों को गुनगुनाएँ - मैत्री भाव में जगत में मेरा, सब जीवों से नित्य रहें। दीन-दुखी जीवों पर मेरे, उर से करूणा-स्त्रोत बहे ।। For Private and Personal Use Only

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