Book Title: Shrutsagar Ank 2013 09 032
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 70
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ૬૮ सितम्बर - २०१३ __ मैत्री में क्रोध सदैव बाधक होता है। क्रोध की प्रवृत्ति बाधक होती है। अतः हम अफने व्यक्तित्व में क्रोधित होने की प्रवृत्ति को पनपने ही न दें। छोटी-छोटी बातों पर ध्यान न दें। यदि कोई व्यक्ति हमें चोट पहुँचाता है, हमारा अपमान करता है तो हम क्रोधित हो जाते है। ऐसी चोट और ऐसे अपमान को हम अपने क्रोध का कारण बना लेते है। इस प्रकार धीरे-धीरे क्रोधित होना हमारी स्वाभाविक प्रवृत्ति बन जाती है। चोट पहुँचाने वाले के प्रति हम अपने मन में द्वेष पाल लेते है। द्वेष हमारे शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक विकास को मंद कर देता है। कभी कभी रोक देता है। द्वेष से भरा व्यक्ति जीवन के पथ में अटक जाता है । वह झुंझलाने को तैयार रहता है। झगड़ने को तैयार रहता है। झुंझलाने एवं झगड़ाने में ही अपने समय और शक्ति का अपव्यय करता है। दुनिया को धुंधले चश्में से देखता है। वह सदैव दूसरे की कमियों को खोजता रहा है। अतः हम झगड़े को सुलझाने के गुण विकसित करें। विवाद सुलझाने की प्रवृत्ति विकसित करें। विवाद सुलझाने की क्षमता विकसित करें। अपने परिवार के सदस्यों के साथ कभी विवाद या झगड़ा न करें। यदि कभी छोटा मोटा विवाद हो जाए तो उसे तुरंत सुलझाएं। उस समय यदि हम क्रोध प्रगट करते है तो हमारा क्रोध क्रोध के रूप में ही हमारे पास तुरंत लौट आता है। यदि हम क्रोध का विचार भी करते है तो क्रोध से ओतप्रोत विचार तुरंत ही हमारे पास लौट आता है। अतः हम क्रोध का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करें। क्रोध के भावी और दीर्घकालिक परिणामों पर विचार कर क्रोध को नियंत्रित करें। क्रोध हमारे लक्ष्य की प्राप्ति में बाधक होता है। यह विचार कर क्रोध को नियंत्रित करें। योग और ध्यान के माध्यम से क्रोध और क्रोधान्वित प्रतिक्रिया को शांत करें। ध्यान हमारे हृदय की धड़कन को उपशांत करता है। मस्तिष्क की प्रतिक्रिया को धीमी करता है। क्षमा करने का निर्णय लेने के लिए हम स्वयं सक्षम होते है। क्षमा करने के लिए हम पूर्णतः उत्तरदायी होते है। क्षमा कर हम अपनी प्रवृत्तियों को सकारात्मक बना सकते है। हम अपने सोच, व्यवहार और भावना को सरलता से नियमित कर सकते है। हम दूसरे व्यक्ति के सोच, व्यवहार और भावना को नियंत्रित नहीं कर सकते है | जब कभी हम सोचते है कि दूसरे व्यक्ति ने अपनी गलती स्वीकार नहीं की है। अतः हम उसे क्षमा क्यों करें ? क्षमा प्रदान करने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि दूसरा व्यक्ति अपनी गलती स्वीकार करें। क्षमा क्षमाकर्ता के लिए आवश्यक होती है। For Private and Personal Use Only

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