Book Title: Shrutsagar Ank 2013 09 032
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 44
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४२ सितम्बर - २०१३ भगवंत केवलज्ञान पाम्या, भरथनइ वद्धाव ए। ते सुणी भरथनरेसरू, मरुदेव पासइ आवइ ए 11 वधामणी दिउ मात मझनइं, रुषभ जिनवर आवीआ। माइ ऊठी हरखसिउं, निजपुत्र जोवा भावीआ 11 गयवर खंधि चडी पधारइ, सकलदलसारथिं थया। मारगिइ हरखिइं केवल पामी, मातजी मुगतिइं गया 11४|| ढाल-सोभागि रणानु।। भरथनरेश्वर आवीआ समोसरणि । त्रिणि गढ देखइ रूअडा समोसरणि ।।१।। मूरति च्यारि सोहामणी समोसरणि । चिहुं पखि बइठा जिनवर समोसरणि 1|२|| मस्तकि छत्र त्रय भलां समोसरणि । बिहुं पखि च(चा)मर सदा ढलइ समोसरणि । ३ ।। सिरि वृक्ष अशोक ते सुंदरू समोसरणि। बार परषद देसना सुणइ समोसरणि ||४|| तिहां वांदइ रिषभजी तातनइं समोसरणि। जिनवर तिहा देसन दीइ समोसरणि ||५|| वाणी योजनगामिणी समोसरणि। त्रिभो(भुवनना संस(श)य हरइ समोसरणि ||६|| पुंडरीक गणधर थया समोसरणि । ब्राह्मी संयम आदरइ समोसरणि ||७|| पांचसइ कुमर चारित्र लीयइ समोसरणि । भरथ श्रावक सुंदरि श्राविका समोसरणि ||८|| इम संघ चतुर्विध थापीउ समोसरणि । त्रिपदी सूत्र ते उपदिसइं समोसरणि ।।९।। भरथ तु निज घरि आवीया समोसरणि । स्वामी विहार क्रम करइ समोसरणि 11१०11 For Private and Personal Use Only

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