Book Title: Shrutsagar Ank 2013 09 032
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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श्रुतसागर - ३२
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|| ढाल - जिसउ मनोरथनु ||
शुभदिवसइ सुत जनमीउ मांडीइं, चईत्र अंधारा ए पक्षमाहि । आठमि दिवस धन रासि (शी) शसि आवीउ, सीत समीरण वाउईउ ए ||१||
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जनमकालिई सहू त्रिभुवन सुखी थयउ, नाभिकुलगर मनि हरखीया ए । आसन कंपइ ए दिसाकुमारिनुं, अवधिज्ञानि जिन निरखीया ए || ३* ||
छपनकुमारी एकठी मिलियनइ, आवइ ए जनमधरि उल्हसी ए । माइ पाए लागी अनुमति मागीअ, सूतिकरम करइ धसमसीअ ||४|
नाड़ीअ-धोई अंग पक्खा (क्षा ) लीअ, वस्त्र - आभरण पहिरावीआ ए । सेजि पासइ ते सघलीअ बइसइ ए, धवलमंगलगीत गाईआ ए ||५||
|| ढाल घोडीनी || || एक तेजणी घोडीए ||
माइ धन्न सपुण्य तूं, धन जीवी तोरी आज । तइं सकल सोभागी, जनम्या श्री जिनराज ||१||
चिरजीवउ ताहरु नान्हडीउ, त्रिभुवनकेरउ राय । प्रतपुर ताहरु बालू अड्डु, सुरनर सेवइ पाय ।। ३* || || द्रूपद ||
बीहारी ताहरी कूखडली, बलीहारी तारो वंस (श) 1 जिहां जगपरमेसर, अवतरीआ रायहंस ||४||
एह कुल तणु दीठु, तइ कुलि कलस चडाव्यु । एह तुझ कुलमंडण, जगजनतारण आव्यु ॥ १५ ॥
सुर-असुरनइ किंनर, विद्याधरनी कोडि । एहनूं सहू किंकर, पाइ पडइ करजोडि ||६||
२९
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चिरजीवउ...
चिरजीवउ...
चिरजीवउ...
चिरजीवउ...
प्रतिलेखक द्वारा अहीं कडी क्रमांक नंबर २ आपवानुं रही गयेल छे. परंतु अत्रे सुधारो करेल छे.

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