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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रुतसागर - ३२ www.kobatirth.org || ढाल - जिसउ मनोरथनु || शुभदिवसइ सुत जनमीउ मांडीइं, चईत्र अंधारा ए पक्षमाहि । आठमि दिवस धन रासि (शी) शसि आवीउ, सीत समीरण वाउईउ ए ||१|| Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जनमकालिई सहू त्रिभुवन सुखी थयउ, नाभिकुलगर मनि हरखीया ए । आसन कंपइ ए दिसाकुमारिनुं, अवधिज्ञानि जिन निरखीया ए || ३* || छपनकुमारी एकठी मिलियनइ, आवइ ए जनमधरि उल्हसी ए । माइ पाए लागी अनुमति मागीअ, सूतिकरम करइ धसमसीअ ||४| नाड़ीअ-धोई अंग पक्खा (क्षा ) लीअ, वस्त्र - आभरण पहिरावीआ ए । सेजि पासइ ते सघलीअ बइसइ ए, धवलमंगलगीत गाईआ ए ||५|| || ढाल घोडीनी || || एक तेजणी घोडीए || माइ धन्न सपुण्य तूं, धन जीवी तोरी आज । तइं सकल सोभागी, जनम्या श्री जिनराज ||१|| चिरजीवउ ताहरु नान्हडीउ, त्रिभुवनकेरउ राय । प्रतपुर ताहरु बालू अड्डु, सुरनर सेवइ पाय ।। ३* || || द्रूपद || बीहारी ताहरी कूखडली, बलीहारी तारो वंस (श) 1 जिहां जगपरमेसर, अवतरीआ रायहंस ||४|| एह कुल तणु दीठु, तइ कुलि कलस चडाव्यु । एह तुझ कुलमंडण, जगजनतारण आव्यु ॥ १५ ॥ सुर-असुरनइ किंनर, विद्याधरनी कोडि । एहनूं सहू किंकर, पाइ पडइ करजोडि ||६|| २९ For Private and Personal Use Only चिरजीवउ... चिरजीवउ... चिरजीवउ... चिरजीवउ... प्रतिलेखक द्वारा अहीं कडी क्रमांक नंबर २ आपवानुं रही गयेल छे. परंतु अत्रे सुधारो करेल छे.
SR No.525282
Book TitleShrutsagar Ank 2013 09 032
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2013
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size4 MB
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