________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
२८
सितम्बर - २०१३ ।। ढाल-सोहलानुं ।। धवल ८ सबल सोहमणु रे, वृषभ पहिल दीठ [1] । ऊंचउ अंजनगिरि समु, बीजउ बीजउ गयवर दीठ तु ।। दीठां स्वामीमइं सुमिणडा ए, सुपना तणुं फल एह तु! गुणनिधि सुत तुम्हे जनमिसिउ ए, कुलगर कुलगर माहि प्रधान तु ||१||
दीठो स्वामी... सी(सिं)ह अतिहिं अबीह आवी, मुझ उच्छंगि° बईठ [तु। ला(ल)छि अति लि(ली)ला करंती, मुझ घर घर मांहि पईठ तु ||२]
दीठां स्वामी... कुसुम परिमल महिमहंती, फूलमाला सार ति! अति सोम सी(शी)तल, अमिय झरतु छठउ छठउ चंद्र उदार तु ||३||
दीठां स्वामी... सहसकिरण अति दीपतु, सातमउ तेजिकमाल (तु । प्रासाद ऊपरि धजा लटकइ, ऊंचीय ऊंचीय अतिहिं विशाल तु ||४||
दीठां स्वामी... पुण्यना भंडार सरिखु, दीठउ पूरणकुंभ [तु|| पदमसरोवर उदकि भरिउ, कमलिई कमलिई करीअ सशोभतु ।।५।।
दीठां स्वामी... अतिअ मानइ उदक भरिउ, दीठउ सागरखीर [तु] 1 सुरविमानइ तिहां पधारिउ, छांडिय छांडिय ते निज थाहार" तु ।१६ ! !
दीठां स्वामी... अति अमूलिक रतननी रे, रासि तेजि विराज [तु। अगनिजाल करंतु देखी, जागीय जागीय कंत हुं आज तु || ७ !!
दीठां स्वामी...
For Private and Personal Use Only