Book Title: Shrutsagar Ank 2013 09 032
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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सितम्बर - २०१३ शतशाखा पसरु, एह तणउ परिवार। इम धवलमंगल गाइ. बइठी छपनकुमारि |७||
चिरजीवउ... || ढाल-पूरी रे एनुती यशोमती ए || हऊउ आसनकंप, सुरपति मनि कोपिइं चडिउ ए। जाणिउ जनम जिणंद, को ए सयल तव उपसमिउ ए |191! हरखिउ सोहमइंद्र, सीघासणथी ऊठीआ ए। दोइ करज्योडी सार, करइ शक्रस्तव उल्हसीय {२|| जनम महोत्सव काजि, हरणगमेषीह कारीउ ए। मेली सुरनी कोडि, घंटनु नाद टंकारीउ ए ||३|| पालक विमानि बइ[ठा] सवि, नाभितणइ घरि आवीआ ए। मरुदेवी पाए लगेवि इंद्र, करइ अऊआरणा५ ए ||४|| पंचरूप करी सार, मेरुस(शि)खि(ख)रि लेई चालीआ ए। तिहां मिलीआ इंद्र करेइ, जनममहोत्सव रंगसिउं ए ||५|| घणा ठामना नीर, कमलपुष्पनइ चंदन ए। सरसिव ऊषधी(धि) जाति, स्नात्रइ कारणि आणीया ए ।।६।। आठ सहस चउसट्टि, कलस करइ सुरपति सहू ए। पूजी प्रणमी देव नाटक, नाचइ सुर बहु ए ।।७।।
।। ढाल-झमझमका पाए घण घूघरी ।।
|| श्री पार्श्वनाथना वीवाहलानी ।। ईशानइंद्र खोलइ लीइ तव, स्नात्र करइ सौधर्म रे। वृषभच्यारिना श्रृंगथी'६, तिहां घार आठy मर्म रे ।।१।। नाचइ इंद्र आनंदसिउ, इंद्राणी गावइ गीत रे। दिइ आसीस ते रूअडी, चिरजीवि तूं नाभिना पूत्र रे 1।२।। तिहां नादिइ अंबर गाजी(जि)आ, नइ भेरीनु भा(भों)कार रे। ति वल(वेला) दमामा वाजीआ, वली मादलनुं धोकार रे ||३||
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