Book Title: Shrutsagar Ank 2013 09 032
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

View full book text
Previous | Next

Page 35
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर • ३२ ३३ || ढाल-जम्हणान ।। सिंघासणि थापेवि, मणि-माणिक जडी ए। रिषभनइ नव्हण करावइ, सुरपति हरखस्यु ए ।। मर्दन देई अंगि, सुगंधतेलसिउं ए।। तेल आणी लक्षपाक, चंदन अगरनूं ए ।। जिन ऊपरी धरी राग, सुरासुर आवइ सर्व मिलइ !२|| रत्ननी रासि रूडी, सिरिसूं ए भरावइ। कानि कुंडल पहिरावइ, सुरासुर आवइ सर्व मिलइ ||३|| उरि एकाउलि६ ए, बाहइ अंगद६८ सारा। मूंद्रडी हाथि पहिरावउ, सुरासुर आवइ सर्व मिलइ ||४|| इम आभरण सारे, सवि अंग सोहावइ । सेवइ मन आणंदि, सुरासुर आवइ सर्व मिलइ ।।५।। || ढाल-ऊलालु ।। कुंकुम तिलक सिरि करीआ. नयणां काजलि भरिआ। चूआ-चंदन अंगि लाया, ऊगटि-ऊगटाणा कराया 11१!! चंपक जूबीनइ जाइ, लाल गुलाल(ब) मिलाइ। कीधा नवरंग टोडर, कंठ कंदलि ठवइ सुरवर ||२|| मरुदेवी हरख न माइ, उच्छवपूर प्रवाहइ। मिलीआ गयंगणि३ देवा, चालइ ऋषभ परणेवा ।।३।। ॥ ढाल-वर चडवाबु ।। हाथ जोडअ पाए लागीअ, सुरपति कीधउ गजराउ। खंधि चडीअ तस चालिआ. सुरनरसिउं जिनराउ ।।१।। मेघाडंबर सिरि वरि, धरीयलुं छत्र विसालो। बिहुं पखि चामर ढलकइ ए, गाइं गीत रसालो ||२|| लूण ऊतारइ ए व्यंतरी, योतिषी केरीय नारिउ। हयदल-गयदल सवि मिली, आव्या इंद्राणीअ बारिउ |१३।। For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84