Book Title: Shrutsagar Ank 2013 09 032
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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वडपणि संयम लेअजे, वछ कहीउं कीजइ । संसारना सुख आदरी, भवलाहु लीजइ ||४४॥१ || ढाल हेलडीनु ||
पय पणमी नीय तात, वात विमासीय हीयडलइ ए । अवर सहोदर मात, संयमलच्छी आदरूं ए ।। ४५ ।।
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साह चंपक मनरंगि, अंगउल्लासइं गुरु वीनव्या ए। लगन गणावउं सार, नारि करइ ऊआरणांए । ४७ ।।
तात मा लाउ" वार, जई सुगुरू तम्हे वीनवउ ए । सिरिउदयनंदिसूरिराय, पायकमल तम्हे अनुसरू ए ११४६ ||
सितम्बर २०१३
|| ढाल - त्रिपदीनु //
उच्छव मांडइ चंपक साह, लीइ अथिर लच्छीनु लाह । साह कुंकुंत्री मोकलइ ए ।। ४८ ।।
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मात सीतादे...
गाम - गामनुं श्रीसंघ लावइ, साह चंपक मनि रूअडू भावइ । श्रीवीयपार न जा [वा] पामीइ ए ||४९ ||
दुर्लभकुमर वरेसिइ दीक्षा, संघ-सजनमन ततखणि हरख्या । निरख्या कुंअर मनरूली ए ||५०|| सवि सिणगार करी वर बाली, पहिरइ नव रंग रूअडा फाली ! लाली अंग अशेषनीए ||५१||
सीस मुकुट सोहइ सिणगार, उरवरि मोतीअ - रयणहार !
अहीं एक गाथा मूळप्रतमां छूटी गई लागे छे.
टोली मिली-मिली तिहां आवइ, साह चंपकनंदन बद्धावइ । करावइ ऊआरणां ए ।। ५२ ।।
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सार तुखारइं आविउ ए । ५३ ।।
लोक अटाले” मिलीआ निरखइ, जोईइ नयणे कुंअर हरखइ । धन कुंयर जिणि अवतरिउ ए ।।५४।। *

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