Book Title: Shrutsagar Ank 2013 09 032
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १२ www.kobatirth.org वडपणि संयम लेअजे, वछ कहीउं कीजइ । संसारना सुख आदरी, भवलाहु लीजइ ||४४॥१ || ढाल हेलडीनु || पय पणमी नीय तात, वात विमासीय हीयडलइ ए । अवर सहोदर मात, संयमलच्छी आदरूं ए ।। ४५ ।। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir साह चंपक मनरंगि, अंगउल्लासइं गुरु वीनव्या ए। लगन गणावउं सार, नारि करइ ऊआरणांए । ४७ ।। तात मा लाउ" वार, जई सुगुरू तम्हे वीनवउ ए । सिरिउदयनंदिसूरिराय, पायकमल तम्हे अनुसरू ए ११४६ || सितम्बर २०१३ || ढाल - त्रिपदीनु // उच्छव मांडइ चंपक साह, लीइ अथिर लच्छीनु लाह । साह कुंकुंत्री मोकलइ ए ।। ४८ ।। - मात सीतादे... गाम - गामनुं श्रीसंघ लावइ, साह चंपक मनि रूअडू भावइ । श्रीवीयपार न जा [वा] पामीइ ए ||४९ || दुर्लभकुमर वरेसिइ दीक्षा, संघ-सजनमन ततखणि हरख्या । निरख्या कुंअर मनरूली ए ||५०|| सवि सिणगार करी वर बाली, पहिरइ नव रंग रूअडा फाली ! लाली अंग अशेषनीए ||५१|| सीस मुकुट सोहइ सिणगार, उरवरि मोतीअ - रयणहार ! अहीं एक गाथा मूळप्रतमां छूटी गई लागे छे. टोली मिली-मिली तिहां आवइ, साह चंपकनंदन बद्धावइ । करावइ ऊआरणां ए ।। ५२ ।। For Private and Personal Use Only सार तुखारइं आविउ ए । ५३ ।। लोक अटाले” मिलीआ निरखइ, जोईइ नयणे कुंअर हरखइ । धन कुंयर जिणि अवतरिउ ए ।।५४।। *

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