Book Title: Shrutsagar Ank 2013 09 032
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीइन्द्रनन्दिसूरि विवाहलो | || श्री गौतमाय नमः ।। गणहर मणहर गोअमसामि, सोहम मुणिवर पय नमीय । समरीय सरसति भगवती माय, आसस' मागउं तुम्ह तणुं ए ।।१।। श्रीइंद्रनंदिसूरि सुहगुरुराय, पायकमल नरवर नमइ ए। भवीयण सांभलउ नव-नव भावि, बोलिसु तासु वीवाहलउ ए ।।२।। जंबूदीवह विनय विचारि, सार भरत तिहां जाणीइ ए। मरूमंडल वली देस विसाल, नयर सीरोही अभिनवी ए ।।३।। धण कण कंचण अति अभिराम, नयर वसंतपुर जाणीइ ए। वापीअ कूप सरोवर साल, बाल क्रीडा करइ नित नवी ए ।४।। ।। ढाल ऊलालानउ ।। तहिं छइं चंपक साह, लच्छी केरडउ नाह! धरणि सीतादे सुसील, विलसइ प्रीयसिउं अलील ||५|| शीलई सीत समाण, सिरि वहइ जिणवर-आण । धरमिइ वासीअ देह, रूपिइ मयणनी रेह' ।।६।। तेहनी ऊअरि ऊपन्नओ, शशिहर सुहणइं संपन्न। मासई-दिसिइं संपूरउ, नाणे अभिनवउ सूरत ७|| मनह मनोरथ चंग, अचरइं जिणवरअंग। समरइ सासणदेवि, सुहगुरू पाय नमेवि ||८|| साहमीवछल रंग, करइं नितु उत्तम संग। हीअडइ करइ विचार, अवतरिउ नंदन सार ।।९।। || ढाल । वारू दिवस संयोगि सार, कुमर तव जाईउ' ए। तिहूअण जय-जयकार, नारि धवल दिइ मिली-मिली ए ||११|| For Private and Personal Use Only

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