Book Title: Shatkhandagama Pustak 16
Author(s): Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 229
________________ ५३४) छक्खंडागमे संतकम्म कस्स? रइयतिरिक्ख-मणुसस्स उत्तरविउव्विददेवस्स वा। ____सव्वासि धुवबंधिपयडीणं णाणावरणभंगो । तिण्णमाणुपुग्विणामाणं उक्कस्सयं ट्ठिदिसंतकम्मं कस्स? आणुपुग्विणामाए अप्पिदाए बंधमाणस्स उकस्सटिदिसंकामयस्स । जाओ द्विदीओ उक्कस्सियाओ कस्स? एदस्स चेव । णवरि तिरिक्खाणुपुस्विणामाए उक्कस्सियं टिदि बंधमाणस्स । णिरयाणुपुग्विणामाए उक्कस्सयं टिदिसंतकम्म कस्स? उक्कस्सयं दिदि बंधमाणस्स । जाओ द्वदीओ कस्स ? एदस्स चेव विग्गहगदीए वट्ठमाणस्स पढमसमयणेरइयस्स वा । उस्सास-तस-बादर-पज्जत्त-पत्तेयसरीराणमुक्कस्सयं ट्ठिदिसंतकम्मं जाओ द्विदीओ च कस्स? जस्स वा तस्स वा तसकाइयस्स उक्कस्सटिदि बधमाणस्स । उज्जोवणामाए उक्कस्सयं जं द्विदिसंतकम्मं जाओ द्विदीओ च कस्स? देवस्स उज्जोवणामाए वेदयस्स उक्कस्सटिदि बंधमाणस्त । आदाव-थावरणामाए उक्कस्सयं जं ट्ठिदिसंतकम्म* कस्स ? सोहम्मदेवस्स ईसाणदेवस्स वा उक्कस्सयं टिदि बंधमाण. स्स" । जाओ द्विदीओ उक्कस्सियाओ कस्स ? एरिसस्सेव । णवरि थावरणामाए देवपच्छायदपढमसमयएइंदियस्स सोहम्मीसाणदेवस्स वा। एदेण बीजपदेण सेसपयडीण स्थितिसत्कर्म किसके होता है ? वह नारकी, तिर्यंच, मनुष्य और उत्तर शरीरको विक्रियायुक्त देवके होता है । सब ध्रुवबन्धी प्रकृतियोंकी प्ररूपणा ज्ञानावरण के समान है। तीन आनुपूर्वी नामकर्मोका उत्कृष्ट स्थितिसत्कर्म किसके होता है ? वह विवक्षित आनुपूर्वी नामकर्मको बांधनेवाले उत्कृष्ट स्थिति संक्रामकके होता है। इनकी उत्कृष्ट जस्थितियां किसके होती हैं। वे इसीके होती हैं । विशेष इतना है कि तिर्यगानुपूर्वी नामकर्मको उत्कृष्ट जस्थितियां उसकी उत्कृष्ट स्थितिको बांधनेवाले जीवके होती हैं। नारकानुपूर्वी नामकर्मका उत्कृष्ट स्थितिसत्कर्म किसके होता है ? वह उसकी उत्कृष्ट स्थितिको बांधनेवालेके होता है। उसकी जस्थितियां किसके होती है ? वे विग्रहगतिमें वर्तमान इसीके अथवा प्रथम समयवर्ती नारकी जीवके होती हैं उच्छ्वास, त्रस, बादर, पर्याप्त और प्रत्येक शरीर नामकर्मोका उत्कृष्ट स्थितिसत्कर्म और जस्थितियां किसके होती हैं ? वे इनकी उत्कृष्ट स्थितिको बांधनेवाले जिस किसी भी त्रसकायिक जीवके होती हैं। . उद्योत नामकर्मका उत्कृष्ट स्थितिसत्कर्म और जस्थितियां किसके होती हैं ? वे उत्कृष्ट स्थितिको बांधनेवाले उद्योत नामकर्मके वेदक देवके होती हैं। आतप और स्थावर नामकर्मका उत्कृष्ट जस्थितिसत्कर्म किसके होता है ? वह इनकी उत्कृष्ट स्थितिको बांधनेवाले सौधर्म और ऐशान कल्पवासी देवके होता है। इनकी उत्कृष्ट जस्थितियां किसके होती हैं ? वे ऐसे ही जीवके होती हैं। विशेष इतना है कि स्थावर नामकर्मकी जस्थितियां देवोंमेंसे पीछे आये हुए प्रथम समयवर्ती एकेन्द्रिय जीवके अथवा सौधर्म ऐशान कल्पवासी देवके होती हैं । इस बीज ४ ताप्रतौ 'उक्स्स टिदिरांतकम्म रइयं' इति पाठः । काप्रती 'उक्कस्सियं ठिदिसंतकम्म' इति पाठः। : अ-काप्रत्योः 'उकस्सयं ठिदि बंधयस्स' इति पाठः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org,

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