Book Title: Shatkhandagama Pustak 16
Author(s): Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 320
________________ धवलासहितसमग्रषखंडागमस्य पारिभाषिक-शब्द-सूची दलितदलित १२.१६२ | दुषमकाल ९१२६ देशप्रत्यासत्तिकृत १४.२७ दशपूर्बी षमसुषम ९.११९ | देशमोक्ष १६.३३७ दशवकालिक १-९७ ; ९-१९० | दूरापकृष्टि ३.२५१,२५५ | देशविनाश १३.३३२,३३५, दान १३.३८९ | दृश्यमान द्रव्य ६.२६० ३४१ दानान्त राय ६.७८; १३.३८९ | दृष्टमार्ग ५.२२,३८ | देशविपरिणामना १५.२८३ . १५.१४ | दृष्टान्त ४.२२ देशव्रत ५.२७७ दार्टान्त ४.२१ दृष्टि अमृत ९.८६,९४ | देशव्रती ८.२५५,३११ दामसमान १६.३७४,५३९ दृष्टिप्रवाद ९.२०३ देशसत्य १.११८ दारुसमानअनुभाग १२.११७ | दृष्टिवाद १.१०९ देशसिद्ध ९.१०२ दारुकसमान दष्टिविष ९.८६,९४ | देशसंयम ५.२०२७-१४ दाह ११.३३९ | देय ३.२० देशस्पर्श १३.३,५,१७ दाहस्थिति ११.३४१ | देव १.२०३; १३.२६१,२९२ देशना ६.२०४ दिवस ३.६७,४.३१७,३९५, | देवकूरु . ४.३६५ देशामर्शक ४.५७ १३.२९८,३०० | देवगति १.२०३; ६.६७; ८.९ | | देशावधि ६.२५; ९.१४ दिवसपृथक्त्ब ५..८,१०३; | देवगतिनाम १३.२६५ | देशावरण ७.६३ ६.४२६ । देवक्षेत्र देशोन लोक दिवसान्त | देवगतिप्रायोग्यानुपूर्वी ६.७६; | देशोपशम ६.२४१ दिव्यध्वनि ५.१९४, ९.१२० १३.३७१,३८२ | दैत्य ४.१८ दिशा ४.२२६ | देवता ४.३१९ | दोष १४.११ दिशादाह १४.३५ देवपथ ४.८ द्रव्य १.८३,३८६,३.२,५, दीप्ततप ९.९० | देवभाव १४.११ ६;४.३३१,३३७; १३.९१ दीप्तशिखा १०.६५; १२.- देवद्धिदर्शन ६.४३४ २०४,३२३, १५.३३ ४२८ देवद्धिदर्शननिबन्धन ६.४३३ द्रव्य उत्कृष्ट ११.१३ दीर्घ १३.२४८ देवलोक ५.२८४/ द्रव्य उपक्रम १५.४१ दीर्घह स्वअनुयोगद्वार ९.२३५ देवायु ६.४९; ८.९ द्रव्य उपशामना १५.२७५ दीर्घान्तर देवायुष्क १३.३६२ द्रव्यकर्म १३.३८,४३ दुरभिगन्ध ६.७५ १३.११ द्रव्यकाल ४.३१३ दूरभिगन्धानाम १३.३७० देशकरणोपशामना १५.२७५ द्रव्यकृति ९.२५० ९.१८३ देशघातक द्वव्यक्रोध ७-८२ ६.६५, ८.९ | देशघाति १५.१७१; १६.३७४, द्रव्य क्षेत्र ४.३ दुर्भगनाम १३.३६३,३६६ ५.३९ द्रव्य छेदना १४.४३५ दुभिक्ष १३.३३२,३३६,३४१ | देशघातिस्पर्द्धक५.१९९,७-६१ दुर्वष्टि १३.३३२,३३६,३४१ | देशघाती ११-१२,८५ द्रव्य जघन्य ६.२९९; ७.६४; दुस्वर ६.६५, ८.१० दुस्वरनाम द्रव्यतः आदेश जघन्य ११-१२ १३.३६३,३६६ देशजिन ६.२४६; ९.१० दुःख ६.३५; १३.३३२,३३४, | देशप्रकृतिविपरिणामना द्रव्यत्व ४-३३६ ३४१,१५.६ १५.२८३ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org देश दुर्नय दुभंग १२.५४ | द्रव्यार्जन Jain Education International

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