Book Title: Shatkhandagama Pustak 16
Author(s): Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 326
________________ धवलासहितसमग्रषखंडागमस्य पारिभाषिक-शब्द सूची ( ३८ परिधि ४-१२, ४३,४५, | पर्याप्ति १- ५७; ४-३६२; } पारिणामिकभाव ५- १८५ २०९,२२२ १०-२३९ १९६,२०७,२३०, ७-१४ परिधिविष्कम्भ ४-३४ पर्याय १-८; ४-३३७,६-२२,पारिगामिकी ९-१८२ परिनिर्वतभाव ८-५,६,१३-६० पात्र १४-१८ १३-१ पर्यायज्ञान १३-३६३ परिपाटी ५-२० पिठर १३-२०४ पर्यायनय ४-३३७ परिभोग ६-७८; १३-३९० पिशुल १२-१५८ पर्यायसमास ६-२२ परिभोगान्तराय ६-७८; १३-पर्यायसपासज्ञान पिशुलापिशुल १२-२६० १३-२६३ ३८९ पर्यायसमासावरणीय १३-१६१ मा पिंड ४-५४४,१४; १३-३६६ परिमण्डलाकार ४-१७८ पर्यायाथिक १-८५, ९-१७० पिंडप्रकृति ६-४९; ३-३६३, १४.९ पर्यायाधिश जन ३६६; १६-३४७ परिवर्तन १४-९ .१४९ पुच्छण १४-९ परिवर्तना ९-२६२; १३-२०३ | पर्यायाथिकनय ४-३,१४५, पूण्य १३-३५२ परिवर्तमान | १७०३२२,४४४ ; ७-१३;८. १५-२३४ | ३,७८१.-४५१,१६-४८५ पुद्गल परिवर्तमाननामप्रकृति १-११९; १४-३६ १५-१४६ पर्यायाथिकप्ररूपणा ४-१४२. पुद्गलद्रव्य ३-३, १३-४३; १५-३३ परिवर्तमानपरिणाम १२-२७ १७२,१८६,२०७,२५९ पर्यायावरणीय १३-२६१ | पुद्गलनिबद्ध परिवर्तमानमध्यमपरिणाम १५-७,१३ | पर्युदास १५-१५ | पुद्गलपरिवर्तन ४-३६४,३८८ १२-२७ ४०६,५-५७ परिशातनकृति पर्युदासप्रतिषेध ७-४७९,४८० ९-३२७ परिहाणि ( रूप ) ३-१८७ पर्व ४-३१७; १३-२९८.३०० | पुद्गलपरिवर्तनकाल ४-३२७; पल्य ४-९,१८५,३८९ परिहार ३३४ परिहारशुद्धिर्सयत १-३७०, पल्योपम ३-६३ ; ४-५,७,९, पुद्गलपरिवर्तनवार ४-३३४ ७७,१८५,३१७,३४०,३७९, पूदगलपरिवर्तनसंसार ४३३३ ३७१,३७२, ७-९४,१६७, १३-२९८,३०० पुद्गलबन्ध १३-३४७ | पल्योपमशतपृथक्त्व १-४३७ पुद्गलमोक्ष १३-३४८ परिहारशुद्धिसंयम ७-१६७ | ४.४९ पुदगलविपाकित्त्व ५-२२२; परीतानन्त ३-१८ | पश्चात्कृतमिथ्यात्व ४-३४९ परोक्ष ६-२६; १-५५,१४३; | पश्चादानुपूर्वी १-७३; ९-१३५ पुद्गलविपाकी ५-२२६; १३-२१२,२१४ | | पश १ ३-३९१ ६-११४; १२-४६ परोदय ८-७ पश्यमान १४-१४३ | पुद्ग पुद्गलयुति १३-३४८ पर्यन्त ४-८६,३६२ । पाणिमुक्तागति १-३००,४-२९ पुद्गलात्त ९-२३५; १६-५१४ पर्याप्त१-२५४,२६७, ३-३३१ | पाप १३-३५२ पुद्गलात्मा १६-५१५ ६-६२,४१९,८-११, पायदकरण १५-२७८| पुद्गलानुभाग १३-३४९ १०-२४० पारञ्चिक १३-६२ | पुनरुक्तदोष १०-२९६ पर्याप्तनाम १३-२६३ पारमाथिकनोकर्मद्रव्यक्षेत्र ४-७ १२-२०९ पर्याप्तनिवृत्ति १४-३५२; | पारसिक १३-२२३ | पुरुष १-३४१, ६-४६ १५-१८० | पारिणामिक १-१६१, ७-९, | पुरुषवेद ६-४७,७-७९, ८-१० पर्याप्ताद्धा १०-३७ । ३०१२-२७९ १३.३६१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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