Book Title: Shatkhandagama Pustak 16
Author(s): Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 341
________________ परिशिष्ट | सर्वसिद्ध समयसत्य १.११८ | सम्यक्त्व १.५१,३९५, ४.३५८ | सर्वतोभद्र ८.९२ समयोग १०.४५१ ५.६ ; ३.३९,४८४,४८६, | सर्वदुःखअन्तकृतभाव १४-१८ समवदानकर्म १३.३८,४५, ४८८; ७ ७ ; ९.६, | सर्वपरस्थान ३-११४,२०८ समवशरण ९.११३,१२८ ११७,१३ १५८ | सर्वपरस्थानअल्पबहुत्व ५.२८९ समवाय १.१०१,१५.२४ सम्यक्त्वकांडक१०२६९,२९४ | सर्वभाव १३.३४६ समवायद्रव्य १.१८ सम्यक्त्वलब्धि १४.२१ सर्वमोक्ष समबायांग ९.१९९ | सम्यग्दर्शन १.१५१ ; ७ ७ ; सर्वलोक १३.३४६ समाचारकाल ११.७६ १५१२ सर्वलोकप्रमाण ४.४२ समाधि ८८८ सम्यग्दर्शनवाक १.११७ / सर्वपविरिणामना १५.२८३ समानजातीय ४.१३३ सम्यग्दष्टि ६.४५१७.१०७; | सर्व विशुद्ध ६२१४ समानवृद्धि ९.३४ ८,३६३, ९.६,१८२; | सर्वविशुद्धमिथ्यादृष्टि ६.३७ समास ३.६; १३.२६०,२६२ | १३.२८०,२८७ ९.१०२ समास (जोड) ३.२०३ | सम्यग्मिथ्यात्व ४.३५८,५.७; | सर्वसंक्रम ६.१३०,२४९; समीकरण ४.१७८; १०.७७ ६.३९,४८५,४८६ । १६.४०९ समीकृत सम्यग्मिथ्यात्वलब्धि १४.२१ | सर्वम्पर्श १३.३,५.७, समुच्छिन्नक्रियानिवृत्ति सम्यग्मिथ्यात्वदृष्टि १.१६६५ २१ १६५२१ सर्वह स्वस्थिति ४.३५८,६.४५०,४.६३, ६.२५९ समुच्छिन्न क्रियानिवृत्तिध्यान | ४६७,७.११०,८.४,३८३ सर्वाकाश ४.१८ १०.३२६ सयोग १.१९१,१९२| सवाद्धा ४.३६३ समुच्छिन्नक्रियानिवृत्तिशुक्ल | सयोगकेवली१.१९१७-१४; | सवान ३.१६ ध्यान ६.४१७ सर्वार्थसिद्धि ४-२४०,३८७; ८४ समुच्छिन्नक्रियाप्रतिपाति सयोगिकाल १३.८७,१६.५७९ सयोगिकेवलिन १३.४४.४७ सवार्थसिद्धिविमान ४.८१ समुदाहार ११.३०८ सर्वावधि सयोगी ६.२५, ९.१४, समुद्घात ४.२६/ सरागसंयम १२.५१ ४७; १३.२९२ समुद्घातकेवलिजीवप्रदेश सराव सर्वाधिजिन ९.१०२ ४.४५, सर्व १३.३१९ सर्वावयव १३.७ समुद्र १३.३०८| सर्वकरणोपशामना १५.२७५ | सर्वावरण समुद्राभ्यन्तरप्रथमपंक्ति सर्वघातक ७.६९] सर्वासंख्यात ३.१२५ ४.१५१ | सर्वघाति ५.१९९,२०२, सर्वोपशम ६२४१ समोद्दियार १३.३४ | १२.५३; १५.१७१,३२४ सवौंषधिप्राप्त सम्पूर्ण १३.३४५ | सर्वघातित्व ५.१५८ | सहकारिकारण ७.६९ सम्प्रदायविरोधाशंका ४.१५८] सर्वघातिस्पर्धक ५.१९९,२३७, | सहस्र ४.२३५ सम्बन्ध ८.१,२, | सहस्रार ४.२३६; १३.३१६ सम्भवयोग १०.४३३,४३४ | सर्वजीव १३.३४६,३५१ सहानवस्थान १२.३००; सम्मच्छिम ५.४१; ६.४२८ | सर्वज्ञ ९-११३ । १३.२१३,३४५ १३.२०४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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