Book Title: Shatkhandagama Pustak 16
Author(s): Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 345
________________ परिशिष्ट ७-३ स्थापनाक्षेत्र ४-३ स्थितिक्षयजनितउदय स्पर्शक्षेत्रविधान १३-२ स्थापनाजिन १५-२८६ | स्पर्शगतिविधान १३-२ स्थापनानन्त ३-११ स्थितिघात ६-२३०,२३४ | स्पर्शद्रव्यविधान ५३-२ स्थापनानारक ७-२९ स्थितिदीर्घ १६-५०८ स्पर्शन १-२३७ स्थापनानिबन्धन १५-२ | स्थितिबंध ६-१९९,२९०, ८.२ | स्पर्शनय विभाषणता १३-२,३ स्थापनाप्रकति १३-२०१ स्थितिबंधस्थान ६-१९९; स्पर्शनानगम १३-१००. स्थापनाप्रक्रम ११-१४२,१६२,२०५,२२५ | स्पर्शनाम १३-३६३,३६४, स्थापनाबन्ध १४-६ स्थितिबंधाध्यवसायस्थान ३७० स्थापनाबन्धक ६-११९ / स्पर्शनामविधान १३-२ स्थापनाभाव ५-१८३; १२-१ स्थितिबन्धाध्यवसान | स्पशंनिक्षेप १३-२ स्थापनामोक्ष १६-३३७ ११-३१०,१६-५७७| स्पर्शनेन्द्रिय ४-३९१ स्थापनामंगल १-१९ स्थितिबन्धापसरण ६-२३०; | स्पर्शनेन्द्रियअर्थावग्रह स्थापनालेश्या १६-४८४ १३.२२८ स्थापनाल्पबहुत्व | स्थितिमोक्ष १६-३३७,३३८ | स्पर्शनेन्द्रियईहा १३-२३१, स्थापनावेदना १०-७ स्थितिविपरिणामना १५-२८३ २३२ स्थापनाशब्द स्थितिसत्कर्म १६-५२८ | स्पर्शनेन्द्रियव्यज्जनावग्रह स्थापनासत्य १-११८ | स्थितिसंक्रम ६-२५६,२५८; १३-२२५ स्थापनासंक्रम १६-३३९ १६-३४७ | स्पर्शपरिणामविधान १३-२ स्थापनासंख्यात ३-१२३ स्थितिह,स्व १६-५१० स्पर्शप्रत्ययविधान १३-२ स्थापनास्पर्श १३-९ स्थिर ६-६३,८-१०, स्पर्शप्रवीचार १.३३८ स्थापनास्पर्शन ४-१४१ १३-२३९| स्पर्शभागाभागविधान स्थावर ६-६१८-६ | स्थिरनाम १३-२६३,२६५ १३-२ स्थावरस्थिति ५-८५ | स्थूलप्ररूपणा १२-१७४ | स्पर्शभावविधान १३-२ स्थिति ९-२५२,२६८; स्निग्धनाम १५-३७० स्पर्शसन्निकर्षविधान १३-२ १३-२०३, | स्निग्धनामकर्म ९-७५ स्पर्शस्पर्श १३-३,६,८,२४ १४.७/ स्निग्धस्पर्श १३-२४ स्पर्शस्पर्श विधान १३-२ स्थितश्रुतज्ञान १४.६ स्पर्द्धक ७-६१,१०-४९२, स्पर्शस्वामित्वाविधान १३-२ ४-३३६, ६-१४६; १२-९५ | स्पर्शानुगम १-१५८; १३-३४६,३४८ | स्पर्द्धकान्तर १२-११८ ४-१४४ स्थितिकांडक ६-२२२,२२४; | स्पर्श ६-५५.८-१०,१३-१,४, | स्पशोनुयाग १३.८० ५,७,८,३५ स्पृष्टअस्पृष्ट १३-५२ स्थितिकांडकघात ६-२०६; | स्पर्शअनुयोगद्वा ९.२३३, | स्फटिक १३.३१५ १०-२९२, १३-२ | स्मृति ९.१४२; १३.२४४, ३१८ स्पर्शअन्तरविधान १३.२ ३३२,३३३,३४१ स्थितिकांड चरम- ६.२२८, | स्पर्शअल्पबहुत्व १३-२ स्याद्वाद ९.१६७ फालि __२२९ | स्पर्शकालविधान १३-२ | स्वकर्म For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org स्थित १३.३१९ Jain Education International

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