Book Title: Shatkhandagama Pustak 16
Author(s): Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 344
________________ धवलासहित समग्रषट्खंडागमस्य पारिभाषिक-शब्द-सूची १-१५२ संघातसमासावरणीय १३.२९१ । ४९२,४९५; ७-७,१४, | स्तिवुकसंक्रमण ५-२१०; संघातावरणीय १३-२६१ ९१; ९-११७; ६-३११,३१२,३१६, संघातिम ९-२७२,२७३ १४-१२ १०-३८९ संचय ५-२४४,२७३ | संयमकांडक , १०-२९४ | स्तुति ९-२६३; १३-२०३; संचयकाल ५-२७७ | संयमगुणश्रेणि १०-२७८ १४-९ संचयकालप्रतिभाग ५-२८४ | सयमभवग्रहण १५-३०५ | स्तूपतल ४-१६२ संचयकालमाहात्म्य ५-२५३ | संयमासंयम ४-३४३,३५०; | स्तोक ३-६५ संचयराशि ५-६, ६-४८५,४८६,४८८/ स्त्यानगृद्धि ६-३१,३२; ८-९; संचयानुगम. १०-१११ संयमासंयमकांडक १०-२९४ संज्वलन ६-४४८-१०; संयोग ४-१४४९-१३७, | स्त्री १-३४०, ६-४६ १३-३६० १३-२५०; १४-२७; १५-२४ स्त्रीवेद १-३४०, ३४१; संयोगद्रव्य संज्ञ १-१८ ६-४७,७-७९,८-१०; संयोगाक्षर १३-२५४,२५९ संज्ञा १३-२४४,३३२,३३३, १३-३६१ ३४१ संयोजनासत्य १-११८| स्त्रीवेदभाव ११-११ संज्ञी संवत्सर १-१५२; २५९, ७-७, ५-९६,९८ ४-३१७,३६५: स्त्रीवेदस्थिति स्त्रीवेदोपशामनाद्धा १११;८-३८६ १३-२९८,३०० संदन १४-३९ संवर ७.९; १३.२५२ संवर्ग स्थलगता संदृष्टि ४.१७, १०.१५३, १-११३;९-२०९ ३-८७,१९७ सनिकर्ष स्थलचर ११-९०,११५, १२-३७५ १३-३९१ संनिवेश १३-३३६ मंवेग ७.७८.८६ | स्थान ५-१०९;९-२१७, संपातफल १३-२५४ संवेदनी १.१०५; ९.२०२ १०.४३४; १२-१११; संप्राप्तितः उदय १५-२८९ संवृतिसत्य १.११८ १३-२३६ संबंध १४-२७ संश्लेषबन्ध १४.३७,४१ | स्थानांग १.१००; ९.१९८ संभव १४-६७ संसार १३-४४ स्थानांतर १२.११४ संभिन्नश्रोता ५-५९,६१,६२ संसारस्थ १३-४४ स्थापनबंध १४.४ संयत ७.९१,८-२९८ संस्थान ८-१० १४.५२ संयतराशि ४-४६ संस्थानअक्षर . १३-२६५ | स्थापना ४,३,३१४ ; ७.३; संयतासंयत १-१७३७-९४; संस्थाननामकर्म ४-२७६ १३.२०१:१४.४३५ ८-४,३१० संस्थानविचय | स्थापनाउपक्रम संयतासंयत उत्त्सेध १३-७२ १५.४१ ४-१६९ संयतासंयतगुणश्रेणि संस्थानविपाकी ४-१७६ स्थापनाउपशामना १५.२७५ १५-२९७ | सहनन ६-५४ स्थापनाकर्म १३.४१,२०१, २४३ संयतासंयतस्वस्थानक्षेत्र स्कन्ध १३-११,१४-८६ ४-१६९ | स्तव ८-८३,८४, ९-२६३, स्थापनाकाल संयम १-१४४,१७६,३७४; १३-२०३; १४-९ ९.२४८ स्थापनाकृति ४-३४३; ५-६, ६-४८८, १३-५३ | स्थापनाक्षर १३.२६५ संवाह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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